Friday 31 March 2017

#2406
तो अब आजम खान का जमीन घोटाला सामने आया।
क्या फर्क है मायावती और आजम में।
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31 मार्च को यूपी के लखनऊ में शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने वक्फ की सम्पत्तियों को लेकर जो गंभीर आरोप लगाए हैं, उनसे आजम खान का असली चेहरा समाने आ गया है। आरोप है कि समाजवादी पार्टी की सरकार में वक्फ और नगरीय विकास मंत्री रहते हुए आजम खान ने हजारों करोड़ रुपए की वक्फ की समपत्तियों को अपने पुत्र, पत्नी आदि के नाम करवा लिया। आजम ने जो जौहर यूनिवर्सिटी बनवाई, उसमें भी वक्फ की सम्पत्ति है। यहां तक की कब्रिस्तान की जमीन को भी अपनी यूनिवर्सिटी में शामिल करवा लिया। शिया धर्मगुरु ने अब मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से मांग की है कि यूपी में वक्फ सम्पत्तियों में हुए भ्रष्टाचार की जांच करवाई जाए। सब जानते हैं कि मौलाना कल्बे जव्वाद का आम मुसलमानों में बहुत मान सम्मान है। यदि मौलाना जव्वाद कोई आरोप लगा रहे हैं तो उसमें गंभीरता तो होगी ही। वहीं सपा की सरकार में आजम खान यूपी के मुसलमानों के सबसे बड़े पेरोकार होने का दावा करते थे। आजम ने हमेशा ऐसा प्रदर्शित किया, जिसमें वे स्वयं को मुलसमानों का हमदर्द बताते थे। यह बात अलग है कि जब सत्ता की मलाई खाने का अवसर मिला तो पहले अपनी पत्नी को राज्यसभा का सांसद बनवाया और फिर गत विधान सभा चुनाव में अपने बेटे अब्दुल्ला को सपा का टिकट दिलवाया। आज पिता-पुत्र दोनों विधायक हैं। स्वाभाविक है कि मौलाना जव्वाद ने जो आरोप लगाए हैं उनसे आजम खान इंकार करेंगे। आजम ने अपनी सफाई में कहा है कि जौहर यूनिवर्सिटी उनकी निजी सम्पत्ति नहीं है।  यूनिवर्सिटी में गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं। मौलाना कल्बे जव्वाद की उनसे व्यक्तिगत दुश्मनी हैं, क्योंकि मैंने मंत्री रहते उनके दामाद का कार्य नहीं किया था। लेकिन अब यूपी की सरकार को चाहिए कि वे मौलाना जव्वाद के आरोपों की उच्च स्तरीय जांच करवाए। 
(एस.पी.मित्तल) (31-03-17)
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