Friday 21 April 2017

#2485
भाजपा के पूर्व सांसद वेदांती ने बाबरी मस्जिद का ढंाचा गिराए जाने का जुर्म स्वीकारा। अब क्या मायने रखता है यह बयान। 
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21 अप्रेल को भाजपा के पूर्व सांसद राम विलास वेदांती ने एक बयान जारी कर कहा है कि वर्ष 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा उन्होंने ही गिराया और गिरवाया। उन्होंने कहा कि मेरे कहने पर ही लाखों कार सेवकों ने ढांचे को गिराया है। वेदांती ने यह भी कहा कि मेरे साथ में महंत अवैद्यनाथ और अशोक सिंघल की भूमिका भी रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अब वे लखनऊ स्थित स्पेशल कोर्ट में शपथ पत्र पेश कर अपने जुर्म को स्वीकार करेंगे। हालांकि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है, लेकिन यदि राम मंदिर के निर्माण पर उन्हें फांसी हो जाए तो वे खुशी-खुशी फांसी के फंदे पर झूलने को तैयार हैं। वेदांती का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के 13 बड़े नेताओं पर फिर से मुकदमा चलाने के आदेश दिए हैं। इन नेताओं में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार आदि शामिल हैं। सवाल उठता है कि वेदांती ने जो बयान दिया है, उस के क्या मायने हैं? मस्जिद का ढांचा गिराए जाने का मामला अभी स्पेशल कोर्ट में ही विचाराधीन है। यह मामला पिछले 25 वर्षों से अदालतों में ही लंबित रहा है। हालांकि स्पेशल कोर्ट ने पूर्व में आडवाणी, जोशी आदि नेताओं को मुकदमे से बाहर कर दिया था। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के प्रार्थना पत्र पर भाजपा नेताओं को फिर से मुकदमे में शामिल करने के आदेश दिए हैं। ऐसे माहौल में ही भाजपा के पूर्व सांसद ने ढांचे को गिराए जाने का जुर्म स्वीकार कर लिया है। अब देखना है कि जब वेदांती अपना शपथ पत्र अदालत में पेश करेंगे, तब कानूनी नजरिया क्या होता है। 
(एस.पी.मित्तल) (21-04-17)
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