Saturday 22 April 2017

#2489
धार्मिक चिन्ह को हटाने पर अजमेर में हिन्दू और मुसलमान आमने-सामने। वैकल्पिक स्थान देने पर जताया विरोध।
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अजमेर के पुष्कर रोड स्थित नागफणी मोड़ पर एक धार्मिक चिन्ह को हटाने पर हिन्दू और मुस्लिम समुदाय आमने-सामने हो गया। हालात को देखते हुए विवादित स्थल पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। अजमेर के पुष्कर रोड के ऋषि घाटी से लेकर आनासागर पुलिस चौकी तक के एक किलोमीटर मार्ग को 60 फीट चौड़ा करने की कवायद चल रही है। नगर निगम ने इस मार्ग के बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाए है। इसी के अंतर्गत गत 19 अप्रैल को करंट वाले बालाजी के मंदिर को भी हटा दिया गया। मंदिर की तरह ही नागफणी के मोड़ पर मुस्लिम समुदाय का भी एक धार्मिक चिन्ह था। इस संबंध में नगर निगम प्रशासन से हुए समझौते के अनुसार जब बालाजी का मंदिर हटा दिया जाएगा तब नागफणी मोड़ के धार्मिक चिन्ह को भी हटा दिया जाए। इस मौखिक समझौते के अनुरुप ही नगर निगम ने 22 अप्रैल की सुबह नागफणी मोड़ के धार्मिक चिन्ह और आसपास के अतिक्रमणों को भी हटा दिया। निगम के दस्ते ने जब अतिक्रमण हटाया तब मौके पर कोई विवाद नहीं हुआ। इसलिए निगम का दस्ता शांतिपूर्ण कार्यवाही कर लौट गया,लेकिन थोड़ी ही देर बाद मुस्लिम समुदाय की अनेक महिलाएं मौके पर आई और धार्मिक चिन्ह को हटाने का विरोध किया। इसके साथ ही कुछ पुरुषभी आए और विवादित स्थल पर धार्मिक चिन्ह का निर्माण कर लिया। इतना ही नहीं मौके पर टेन्ट लगाकर धरना प्रदर्शन शुरू हो गया। इस घटना की जानकारी मिलते ही बड़ी मात्रा में पुलिस बल मौके तैनात कर दिया गया। इसी दौरान मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि यासिर चिश्ती ने शर्त रखी कि वैकल्पिक भूमि उपलब्ध करवाई जाए ताकि धार्मिक स्थान का निर्माण किया जा सके। भूमि उपलब्ध करवाने के लिए तहसीलदार और अन्य राजस्व कर्मियों को भी मौके पर बुलाया गया। अभी धार्मिक चिन्ह के लिए वैकल्पिक भूमि देने की मांग चल ही रही थी कि अजयमेरू सजग नागरिक समिति के तत्वावधान में बड़ी संख्या में हिन्दू समुदाय के लोगों ने भी एकत्रित होकर अतिरिक्त कलेक्टर अरविन्द सेंगवा से मुलाकात की। सेंगवा को दिए गए ज्ञापन में कहा गया कि अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना के अंतर्गत ही पुष्कर रोड के मार्ग को चौड़ा किया जा रहा है। प्रशासन को सहयोग करने के लिए ही आपसी सहमति से मंदिर भी हटाया गया है। समिति की ओर से कहा गया कि नागफणी के मोड़ पर अनाधिकृत तौर पर मुस्लिम धार्मिक चिन्ह बनाया गया है। अब कहा जा रहा है कि 23 अप्रैल को विवादित स्थल पर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होंगे। यदि ऐसा होता है तो अजमेर का साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ेगा। समिति की ओर से चेताया गया कि धार्मिक चिन्ह के लिए वैकल्पिक भूमि नहीं दी जाए। यदि अनाधिकृत निर्माण के लिए सरकारी स्तर पर भूमि दी जाती है तो यह गलत परम्परा होगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्देश दे रखे है कि शहर के विकास के लिए धार्मिक स्थलों को हटाया जा सकता है। इस प्रतिनिधि मंडल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर संघचालक सुनील दत्त जैन, भाजपा के शहर अध्यक्ष अरविन्द यादव, पार्षद ज्ञान सारस्वत, चन्द्रेश सांखला, धर्मेन्द्र शर्मा, राजेन्द्र सिंह पंवार, वीरेन्द्र वालिया, संपत सांखला, नीरज जैन, रमेश सोनी, भारती श्रीवास्तव, महेन्द्र जादम आदि शामिल थे। 
एस.पी.मित्तल) (22-04-17)
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