Thursday 27 April 2017

#2507
होटल अजमेर इन और रेलवे स्टेशन के सामने से अतिक्रमण हटा पाएगा नगर निगम।
30 अप्रैल को हाईकोर्ट में देना है शपथ पत्र।
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अजमेर शहर के प्रमुख मार्गो से अतिक्रमण और अवैध निर्माण हटा दिए गए हैं, इसको लेकर नगर निगम प्रशासन को 30 अप्रैल को एक शपथ पत्र हाईकोर्ट में प्रस्तुत करना है। निगम प्रशासन ने 24 अप्रैल को एक आदेश जारी कर अतिक्रमण हटाने के दो दल बनाए। दोनों दल शहर में किस तरह से अतिक्रमण हटा रहे हैं यह पूरा शहर देख रहा है। अतिक्रमण हटाने के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति की जा रही है। यूं तो शहर भर में और आनासागर के भराव क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध निर्माण और अतिक्रमण हो रहे हैं। निगम प्रशासन को भी पता है कि किस-किस स्थान पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण हैं। यहां सिर्फ दो अतिक्रमणों का उल्लेख किया जा रहा है। एक अतिक्रमण नगर निगम कार्यालय से मुश्किल से 50 फीट की दूरी पर होटल अजमेर इन का है। पहले तो इस होटल को स्वीकृत नक्शे के विरुद्ध बनाया गया और जब होटल बन कर तैयार हो गया, तो होटल के वाहनों की पार्किंग के लिए 20 फीट चौड़े नाले को ही पाट दिया गया। क्या यह सब गैर कानूनी काम होटल अजमेर इन के मालिक ने अपने दम पर कर लिया? जाहिर है कि सभी सरकारी दफ्तरों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं हुआ है। भ्रष्टाचारियों को पकडऩे वाला भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भी चुप है। इस खुले भ्रष्टाचार की शिकायत ब्यूरो में भी की गई है, लेकिन ब्यूरो भी अब एक सरकारी महकमे की भूमिका ही निभा रहा है। दूसरा उदाहरण रेलवे स्टेशन के सामने फुट ओवर ब्रिज के नीचे मदार गेट की ओर बने बरामदों में अतिक्रमण का है। थोड़े दिन पहले तक यह खुले बरामदे लोगों के चलने के काम आते थे, लेकिन अब इन बरामदों में पक्की दुकानें बन गई है। बाटा कंपनी से लेकर स्टेशन रोड तक कोई 15-15 फीट का अतिक्रमण है, यह स्थिति दोनों ओर है। यदि हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुरूप मदार गेट से ऐसे अतिक्रमण हटाए गए तो रेलवे स्टेशन के सामने से सुंदरता नजर आने लगेगी। इसी मार्ग से रोजाना हजारों जायरीन ख्वाजा साहब की दरगाह की ओर आते जाते हैं। अतिक्रमण की वजह से पैदल चलना भी मुश्किल होता है, यदि अतिक्रमण हट जाए तो मोटर वाहन भी आसानी से आ-जा सकते हैं। यदि निगम प्रशासन को वाकई शपथ पत्र हाईकोर्ट में प्रस्तुत करना है तो पहले इन दोनों अतिक्रमणों को हटाना चाहिए। छोट-मोटे दुकानदारों की रैम्प, सीढ़ी आदि तोड़ देने से हाईकोर्ट के आदेशों की पालना नहीं होगी। निगम प्रशासन माने या नहीं, लेकिन बाजारों में स्थाई और अस्थाई अतिक्रमणों की वजह से यातायात का बुरा हाल है। हालांकि इसके लिए ट्रैफिक पुलिस भी जिम्मेदार है, क्योंकि ट्रेफिक और संबंधित थाने की पुलिस के संक्षरण की वजह से ही ठेले आदि के अतिक्रमण बाजारों में होते हैं। दुकानों के बाहर छोटी दुकान भी निगम और पुलिस के संरक्षण में ही लगती हैं। अब जब अजमेर स्मार्ट सिटी बनाने जा रहा है तो निगम और पुलिस प्रशासन को ईमानदारी के साथ अतिक्रमण हटाने चाहिए।
(एस.पी.मित्तल) (27-04-17)
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