Sunday 30 April 2017

#2518
क्या ले. कर्नल मंसूर अली अब भी दरगाह नाजिम के पद पर टिके रहना चाहते हैं? 
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इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय को मात्र 6 माह की अवधि में अजमेर स्थित विश्व विख्यात ख्वाजा साहब की दरगाह के लिए नए नाजिम की तलाश करनी पड़ रही है। मंत्रालय ने नाजिम की योग्यता रखने वाले सुन्नी हनफी मुसलमानों से आगामी 15 जून तक आवेदन मांगे हैं। मंत्रालय ने वर्तमान नाजिम ले. कर्नल मंसूर अली को गत वर्ष 17 अक्टूबर को नियुक्त किया था। तब यह उम्मीद जताई गई कि सेना के अनुशासन और सख्त रूख के अन्तर्गत मंसूर अली दरगाह में नाजिम के पद की जिम्मेदारी को निभाएंगे। लेकिन मंसूर अली ने विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करने के बजाए, नियुक्ति के चार माह बाद ही इस्तीफा दे दिया। मंसूर अली ने नाजिम के पद से तब इस्तीफा दिया, जब 25 मार्च से ख्वाजा साहब का सालाना उर्स शुरू हो रहा था। उर्स के आयोजन में दरगाह कमेटी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसीलिए मंत्रालय ने मंसूर अली से आग्रह किया कि वह अगले आदेशों तक नाजिम के पद पर बने रहे। इधर मंत्रालय ने इस्तीफे को तत्काल स्वीकार नहीं किया और उधर मंसूर अली का मन भी बदलने लग गया। बताया जा रहा है कि अब मंसूर अली दरगाह के नाजिम के पद पर बने रहना चाहते हैं। इसके लिए बाकायदा लाबिंग की जा रही है। अपने रसूखातों से मंत्रालय में यह सूचना भिजवाई जा रही है कि मंसूर अली पूरी जिम्मेदारी के साथ नाजिम का काम कर रहे हैं। जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी नाजिम के व्यवहार में आए बदलाव पर आश्चर्य है। नाजिम का पद संभालने के बाद जो मंसूर अली प्रशासनिक अधिकारियों से सीधे मुंह बात नहीं करते थे, वे अब आगे होकर छोटे से छोटे अधिकारी को भी फोन कर रहे हैं। मंसूर अली के मन बदलने का अन्दाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि दरगाह के कुछ खादिमों ने केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को पत्र लिख कर मंसूर अली को नाजिम बनाए रखने का आग्रह किया है। मंसूर अली ने भी अब खादिम समुदाय के प्रति बेहद ही नरम रूख अपना लिया है। नाजिम का पद संभालते ही दरगाह के अंदर के इन्तेजाम सुधारने के लिए मंसूर अली ने खादिमों द्वारा तैयार की जाने वाली तर्बरूक की देगों को दरगाह के अन्दर लाने पर रोक लगा दी थी। अपने मेहमान के कहने पर खादिम अपने घरों पर छोटी देग पकवाते हैं और फिर दरगाह के अंदर लाकर संबंधित मेहमान की मन्नत पूरी होने के लिए दुआ करते हैं। इस धार्मिक रस्म को खादिम दरगाह के अन्दर बनी अपनी गद्दी पर करते हैं। लेकिन अब इस परम्परा पर नाजिम की ओर से कोई रोक नहीं है। 
रूक सकती है नए नाजिम की तलाश :
जानकारों की माने तो मंत्रालय ने नए नाजिम की तलाश का जो काम शुरू किया है, वह रूक सकता है। हो सकता है कि खादिमों का एक शिष्टमंडल शीघ्र ही दिल्ली जाकर केन्द्रीय मंत्री नकवी से मुलाकात करें और मंसूर अली को ही नाजिम बनाए रखने का दबाव बनाए। इसके लिए मंंसूर अली की ओर से भी प्रभावी प्रयास किए जा सकते हैं। 
एस.पी.मित्तल) (30-04-17)
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