Monday 8 May 2017

#2546
आखिर अजमेर के भाजपाईयों ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर से क्यों परहेज किया? सस्पेंड शेखावत ने किया स्वागत। 
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विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर 7 मई की शाम को पुष्कर तीर्थ में आए, लेकिन स्वागत करने के लिए भाजपा का एक भी कार्यकर्ता नहीं पहुंचा। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी चाहे कितना भी दावा करें कि उनका ओम माथुर से कोई विवाद नहीं है, लेकिन 7 मई को ओम माथुर के स्वागत के लिए पुष्कर में भाजपा के कार्यकर्ताओं का नहीं पहुंचना, यह दर्शाता है कि संगठन में उच्च स्तर पर खींचतान है। ऐसा नहीं कि ओम माथुर चुपचाप पुष्कर आ गए, इसलिए कार्यकर्ताओं को भनक ही नहीं लगी। ओम माथुर के पुष्कर आने की सूचना श्रीमाली ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों ने अखबार में विज्ञापन देकर दी थी। 7 मई को ही राजस्थान पत्रिका के अजमेर संस्करण में प्रथम पृष्ठ पर एक बड़ा विज्ञापन प्रकाशित हुआ, जिसमें ओम माथुर की बड़ी फोटो भी लगी हुई थी। हालांकि यह विज्ञापन सुप्रसिद्ध कथावाचक राधाकृष्ण महाराज के नानी बाई रो मायरो को लेकर था, लेकिन आयोजकों ने राधाकृष्ण महाराज के बजाए ओम माथुर का फोटो प्रकाशित करवाया। अब भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता यह तो कह ही नहीं सकते कि उन्हें माथुर के आने की जानकारी नहीं मिली। पुष्कर नगरपालिका के अध्यक्ष कमल पाठक तो पुष्कर आने वाले नेताओं के स्वागत सत्कार के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। लेकिन पाठक ने भी माथुर की ओर देखा तक नहीं। क्षेत्रीय भाजपा विधायक और संसदीय सचिव सुरेश सिंह रावत अजमेर-पुष्कर में होते हुए भी माथुर के स्वागत में नहीं पहुंचे। सवाल उठता है कि क्या संगठन की सूचना आने पर ही भाजपा के कार्यकर्ता किसी नेता के स्वागत के लिए पहुंचते हैं? अजमेर-पुष्कर में जब कोई छोटा-मोटा प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी भी आ जाता है तो कार्यकर्ता स्वागत करने के लिए उतावले रहते हैं। ऐसे में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष से परहेज यह दर्शाता है कि राजस्थान में संगठन में खींचतान है। ओम माथुर भाजपा के कोई कमजोर उपाध्यक्ष नहीं है। माथुर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। वर्तमान में भी माथुर उत्तर प्रदेश के प्रभारी है। हाल ही में यूपी में भाजपा को पूर्ण बहुमत दिलवाने में भी माथुर की खास भूमिका रही है। इतना ही नहीं माथुर की राजनीतिक कर्मस्थली राजस्थान ही है। माथुर दो बार राजस्थान में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं। माथुर भी इस सच्चाई को जानते हैं कि राजस्थान में भाजपा के कार्यकर्ता को उनके पास आने से रोका जाता है। सच्चाई तो यह भी है कि जो पदाधिकारी माथुर के साथ नजर आता है, उसका संगठन में महत्व खत्म हो जाता है। यही वजह रही कि 7 मई को जब माथुर पुष्कर आए तो भाजपा के सस्पेंड नेता और अजमेर के पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत ही स्वागत के लिए पहुंचे। माथुर शेखावत को कितना महत्व दे रहे हैं, इसका अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नानी बाई रो मायरो के समारोह में माथुर ने शेखावत को अपने पास ही बैठाया। माथुर से घनिष्ठता के चलते क्या शेखावत वापस भाजपा में आ पाएंगे? यह समय ही बताएगा। शेखावत ने मेयर का गत चुनाव बागी उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था और तब उन्हें भाजपा से 6 वर्ष के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। 
(एस.पी.मित्तल) (08-05-17)
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