Tuesday 9 May 2017

#2552
अजान की आवाज नहीं आती, इसलिए मस्जिद की मौजूदगी नहीं मानी। अजमेर के आबकारी विभाग का अजूबा तर्क। 
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यूं तो राजस्थान का आबकारी महकमा भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात है। इस पर राज्य सरकार की नरम नीति की वजह से प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी शराब की दुकानें धड़ल्ले से खोली जा रही हंै। क्षेत्रों की महिलाएं चाहे कितना भी धरना-प्रदर्शन करें, लेकिन विभाग के अधिकारियों और लाइसेंसधारी की मिलीभगत से दुकान तय स्थल पर ही खोली जाती है। यहां तक कि धार्मिक स्थलों के वजूद को ही नकारा जा रहा है। इसका एक ताजा उदाहरण अजमेर के कवंडसपुरा में बोहरा समाज की ताहेरी मस्जिद के पास शराब की दुकान खोलना है। समाज के अध्यक्ष मोहम्मद अली बोहरा, कोषाध्यक्ष शब्बीर हुसैन ने विगत दिनों जिला कलेक्टर गौरव गोयल को एक ज्ञापन देकर मस्जिद के पास से शराब की दुकान को बंद कराने की मांग की। ज्ञापन में कहा गया कि किसी भी धार्मिक स्थल की 200 मीटर की परिधि में शराब की दुकान प्रतिबंधित है। जबकि आबकारी विभाग ने हमारी मस्जिद से मात्र 50 मीटर की दूरी में दुकान खोल दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने आबकारी अधिकारी को नियमों के तहत कार्यवाही करने के निर्देंश दिए। कलेक्टर के इस निर्देंश के बाद कवंडसपुरा में मस्जिद के निकट शराब की दुकान बंद हो जानी चाहिए थी। लेकिन आबकारी विभाग ने बोहरा समाज के ज्ञापन पर जो रिपोर्ट तैयार कराई, वह चौंकाने वाली है। रिपोर्ट में कहा गया कि धार्मिक स्थल से अजान की आवाज नहीं आती है इसलिए मस्जिद की मौजूदगी नहीं है। आसपास के लोगों ने भी मस्जिद में नमाज अदा होते नहीं देखा। इतना ही नहीं शिकायत को ही झूठा बता दिया गया। आबकारी विभाग की इस रिपोर्ट पर मुस्लिम बोहरा समाज ने अफसोस जाहिर किया है। समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि हमारे समाज की मस्जिदों पर नमाज व अजान के लिए माइक का उपयोग नहीं होता। समाज से जुड़े लोग शांति से पांचों वक्त की नमाज अदा करते हैं। कवंडसपुरा की मस्जिद में भी पांचों वक्त की नमाज अदा की जाती है। ईद व अन्य मौकों पर हमारी मस्जिद में होने वाली नमाज की फोटो अखबारों में छपते हैं। ऐसे में आबकारी विभाग का हमारी मस्जिद को ही नकारना गैर जिम्मेदाराना है। इससे पूरे बोहरा समाज में नाराजगी है। इस संबंध में जिला कलेक्टर गोयल से फिर से वार्ता की जाएगी। जहां तक पूर्व में दुकान के चलने का सवाल है तो इसे समाज की उदासीनता ही कहा जाएगा। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हर साल नियमों की अनदेखी कर शराब की दुकान खोली जाए।
(एस.पी.मित्तल) (09-05-17)
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