Friday 19 May 2017

#2592
पुलिस की छवि खराब करने वाले सिपाहियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें अजमेर एसपी। 
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यूं तो संबंधित क्षेत्र में थानाधिकारी के इशारे के बीना पत्ता भी नहीं हिलता है, लेकिन आमतौर पर देखा गया है कि हर क्षेत्र में थाने पर ऐसे सिपाही नियुक्त होते हैं जो इशारों को समझते हैं। कई बार ऐसे सिपाही पुलिस की इमेज खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। इन सिपाहियों के विरुद्ध इसलिए कार्यवाही नहीं होती क्योंकि सीआई या उससे बड़े अधिकारी का संरक्षण होता है। अजमेर में नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह चौधरी ने ताजा मामला किशनगढ़ के डीएसपी मोटाराम का देखा है। मोटाराम की ओर से उनके इशारे पर परसाराम ने ही मोर्चा संभाल रखा था। परसाराम ही गैर कानूनी काम करने वालों से संवाद करते पकड़ा गया। एसपी ने अभी ड्राइवर को सिर्फ एपीओ किया है। एक ओर ताजा मामला जिला कलेक्टर गौरव गोयल के समक्ष प्रस्तुत किया गया। कलेक्टर ने एसपी को जांच के लिए कहा है। मांगलियावास थाने के अंतर्गत आने वाले लीड़ी गांव में गत 15 मई को 12वीं पास दो बहनों की शादी हो रही थी, तब मांगलियावास थाने का सिपाही सांवरलाल और एएसआई चीमन सिंह मौके पर पहुंच गए। सिपाही सांवरलाल का लड़कियों के पिता को कहना रहा कि तुम नाबालिग लड़कियों की शादी कर रहे हों। शादी शांतिपूर्ण करनी है तो दस हजार रुपए की रिश्वत देनी पड़ेेगी। पिता का कहना रहा कि उसकी दोनों बेटियां पढ़ी लिखी हैं व उनकी उम्र 21 एवं 23 वर्ष की है। उम्र के कागजात भी दिखाए गए, लेकिन फिर भी सिपाही सांवरलाल नहीं माना। परिवार के एक सदस्य हरिशंकर ने रात को ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भोलाराम से शिकायत की तब जाकर  सिपाही सांवरलाल मौके से लौटा। सिपाही सांवरलाल ने रैगर जाति के इस परिवार के विवाह में विघ्न डाला, लेकिन सांवरलाल आज भी मांगलियावास थाने पर तैनात है। क्या इस सिपाही के खिलाफ कार्यवाही नहीं होनी चाहिए? अब देखना है कि लिखित में शिकायत देने के बाद सिपाही सांवरलाल के खिलाफ कब कार्यवाही होती है? अजमेर के एसपी चौधरी को गत 13 मई को भी एक मौखिक शिकायत मिली थी। यह शिकायत जिला प्रमुख वंदना नोगिया की ओर से केसरगंज पुलिस चौकी के एक सिपाही के विरुद्ध की गई थी। एसपी को 16 मई को एक ओर शिकायत फॉयसागर रोड की पुलिस चौकी के एक सिपाही की भी मिली है। सिपाही के इन सारे प्रकरणों में पुलिस की ज्यादती भी सामने आई है। अच्छा हो एसपी चौधरी ऐसी सभी शिकातयों पर कार्यवाही करें। देखा जाए तो पुलिस का असली चेहरा चौकी थाने पर सिपाही ही होता है। यदि सिपाही ही कानून तोडऩे का काम करेगा तो फिर आम जनता को राहत कैसे मिलेगी। 
(एस.पी.मित्तल) (19-05-17)
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