Tuesday 6 June 2017

#2654
काश! रवीश कुमार आपातकाल में हुए प्रेस पर हमले का भी जिक्र करते। एनडीटीवी पर छापामारी का मामला। 
======================
6 जून को जिन लोगों ने एनडीटीवी देखा, उन्होंने एंकर रवीश कुमार का कोई 25 मिनट का धाराप्रवाह प्रवचन भी सुना होगा। एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय राय और उनसे जुड़ी एक एजेंसी पर सीबीआई की जो छापामार कार्यवाही हुई उसके संदर्भ में ही रवीश कुमार ने प्रवचन दिया। एनडीटीवी को बकासूर बताने के साथ-साथ रवीश कुमार ने कहा कि किस प्रकार भारत में प्रेस की आजादी खतरे में है। जी हजूर जैसे टिप्पणियां कर रवीश कुमार ने अधिकांश मीडिया को सत्ता की गोदी में बैठा हुआ बताया। प्रेस का गला घोंटने के संदर्भ में रवीश कुमार ने अमरीका और पोलैंड का उदाहरण दिए। लेकिन रवीश कुमार ने कांग्रेस के शासन में भारत में लगे आपातकाल का कोई जिक्र नहीं किया। रवीश कुमार ने यह नहीं बताया कि ढाई वर्ष के आपातकाल में कांग्रेस ने किस प्रकार प्रेस का दम निकाल दिया था। एनडीटीवी पर छापामारी को आज रवीश कुमार पूरे लोकतंत्र और प्रेस का गला घोंटने वाला बता रहे हैं, लेकिन रवीश कुमार को यह याद नहीं रहा कि आपातकाल में राजनीतिक दलों के अधिकांश नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया था और अखबारों में वही खबर छपती थी जो सरकार के पक्ष की हो। अखबारों में क्या छपेगा इसका अधिकार जिला कलेक्टर को दे दिया गया था और कलेक्टर ने अधिकार आने से जनसम्पर्क अधिकारी को दे दिए थे। बड़े-बड़े अखबार वाले प्रकाशन से पूर्व अखबार का प्रूफ पीआरओ को दिखाते थे। जिन अखबार मालिकों ने प्रूफ नहीं दिखाया उनके अखबार किसी न किसी कारण से बंद करवा दिए गए। रवीश कुमार को यह भी याद नहीं रहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल तब लगाया जब कोर्ट ने उनके विरुद्ध फैसला दिया। जिन पत्रकारों ने आपातकाल की यातनाएं भोगी है, रवीश कुमार को उनसे पूछना चाहिए था कि सरकार प्रेस का गला कैसे घोंटती है। आपातकाल के ढाई वर्षों में टीवी चैनलों का इतना प्रचलन नहीं था। अखबारों की संख्या भी सीमित थी। लेकिन आज तो न्यूज चैनलों की बाढ़ सी आई गई है। सैकड़ों राष्ट्रीय स्तर के चैनल हैं तो हजारों प्रादेशिक स्तर के। रवीश कुमार और एनडीटीवी को इससे ज्यादा आजादी और क्या चाहिए कि चैनलों पर सरेआम आतंकवादियों के समर्थन वाली खबरें प्रसारित की जाती है। 
हालांकि रवीश कुमार ने अपने प्रवचन में देश भक्ति का भी मजाक उड़ाया है। लेकिन यह सही है कि यदि हमारी सेना के जवान सीमा पर देशभक्ति न दिखाए तो रवीश कुमार दिल्ली में एनडीटीवी के स्टूडियों में बैठ कर 25 मिनट का बिना ब्रेक वाला प्रवचन नहीं दे सकते। अपने देश के आपातकाल का उल्लेख किए बिना अमरीका और पोलैंड के उदाहरण पेश कर रवीश कुमार ने अपनी मानसिकता के दोहरे मापदंड दिखाए हैं। हो सकता है कि किन्हीं कारणों से सरकार एनडीटीवी से नाराज हो, लेकिन एनडीटीवी  को निष्पक्ष पत्रकारिता करनी चाहिए। रवीश कुमार ने देश की आम जनता से भी आह्वान किया है कि वह सरकार के दमनकारी रवैये के खिलाफ उठ खड़ी हों। देखना है कि एनडीटीवी के आह्वान का देश की जनता पर कितना असर होता है। वहीं सीबीआई ने एक बयान जारी कर कहका है कि यक कार्यवाही कोर्ट के आदेश से की गई है। जांच का काम भी सिर्फ प्रमोटर के दफ्तर और घर परहुआ है। एनडीटीवी के स्टूडियों में किसी भी प्रकार से जांच नहीं की गई।  
(एस.पी.मित्तल) (06-06-17)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
================================
M: 07976-58-5247, 09462-20-0121 (सिर्फ वाट्सअप के लिए)

No comments:

Post a Comment