Friday 9 June 2017

#2662
आखिर ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग में सेना को क्यों बुलाया? 
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9 जून से पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग क्षेत्र में बेमियाद हड़ताल शुरू हो गई है। इस हड़ताल का आव्हान गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) की ओर से किया गया है। पूरे बंगाल में स्कूलों में 10वीं कक्षा तक बंगाली पढ़ाए जाने को लेकर दार्जिलिंग में विरोध हो रहा है। बेमियादी हड़ताल शुरू होने से एक दिन पहले ही 8 जून को बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने केन्द्र सरकार से सेना की मांग कर ली और अब दार्जिलिंग में सेना को तैनात कर दिया गया है। आम तौर पर सेना को विषम परिस्थितियों में बुलाया जाता है। लेकिन ममता बनर्जी ने राजनीतिक कारणों से दार्जिलिंग में सेना की तैनाती करवाई है। बंगाल के कई हिस्सों में दार्जिलिंग से भी ज्यादा हालात खराब हुए। लेकिन ममता ने कभी भी केन्द्रीय सुरक्षा बल अथवा सेना को नहीं बुलाया। असल में दार्जिलिंग में जीजेएम के साथ-साथ भाजपा का भी प्रभाव है। जीजेएम की तरह भाजपा भी अलग राज्य की मांग की पक्षधर है। जीजेएम और भाजपा के विरोध से निपटने के लिए ही दार्जिलिंग में सेना की तैनाती करवाई गई है। ममता बनर्जी ने जिन राजनीतिक कारणों से सेना को बुलाया है, उसकी चौतरफा निंदा हो रही है। बंगाल पुलिस का उपयोग किए बिना ही सेना को बुला लेना खतरनाक निर्णय भी है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में किसान आंदोलन लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी दोनों राज्यों में सेना को नहीं बुलाया गया है। असल में सेना को तभी बुलाया जाता है जब हालात राज्य की पुलिस के नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं। वैसे तो अनेक मामलों में ममता बनर्जी बंागल में केन्द्र सरकार के फैसलों को लागू नहीं करती। जीएसटी का बिल अभी तक भी विधानसभा में नहीं रखा गया है। लेकिन वहीं राजनीतिक स्वार्थ पूरे करने के लिए दार्जिलिंग में सेना की तैनाती करवा दी जाती हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (09-06-17)
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