Thursday 27 July 2017

#2828
पुलिस की सख्ती से अजमेर में शरीफ शराबियों की शामत। 
थोड़ा रहम करें टाइगर साहब।
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वैसे तो मैं शराब को एक सामाजिक बुराई मानता हंू और मेरी सहानुभूति कभी भी शराब पीने वालों के साथ नहीं होती। मैंने शराब की वजह से अच्छे-अच्छे घर बर्बाद होते देखे हैं। मैं उन माता-पिता की पीड़ाओं से अवगत हंू, जिनका जवान बेटा शराब पीता है। पुलिस शराब पीने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करे इसका मैं पक्षधर हंू। मेरा यह भी मानना है कि शराब की वजह से अपराध भी बढ़ते हैं तथा शराब पी कर वाहन चलाने से दुर्घटनाएं भी होती हैं। पुलिस यदि शराब पीकर वाहन चलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करती है तो यह स्वागत योग्य है। लेकिन यदि इसकी आड़ में बेकसूर लोगों को पुलिस परेशान करें तो इसे उचित भी नहीं माना जाएगा। मैं उन शरीफ शराबियों की बात कर रहा हंू जो अपने ड्राइवर के साथ वाहन में बेठे होते हैं। कायदे से पुलिस को शराबी वाहन चालक के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए। लेकिन अजमेर पुलिस कार में सवार सभी व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही कर रही हैं। सवाल उठता है कि जो व्यक्ति कार में बैठा हुआ है, उसके विरुद्ध कार्यवाही क्यों की जा रही है? शराबियों के चक्कर में पुलिस निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ भी कार्यवाही कर रही है। अजमेर के पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह चौधरी का इतना टेरर है कि पुलिस सत्तारुढ पार्टी के मंत्रियों तक की नहीं सुन रही है। हाल ही में पुलिस ने मोटर साइकिल पर जा रहे भाजपा के दो कार्यकर्ताओं को गंज पुलिस स्टेशन में धारा 151 में गिरफ्तार किया। इन दोनों कार्यकर्ताओं को पुलिस के चंगुल से छुड़ाने के लिए भाजपा के बड़े से बड़े नेता ने जोर लगा लिया। यहां तक की मंत्री की भी दुहाई दी गई, लेकिन यह दोनों कार्यकर्ता अगले दिन सिटी मजिस्ट्रेट  अरविंद सेंगवा से ही छूट पाए। मंत्री का भी कहना रहा कि जिस वक्त पुलिस ने पकड़ा, तब इन दोनों ने शराब नहीं पी रखी थी। इस मामले में गंभीर बात यह है कि जब भाजपा का वरिष्ठ नेता संबंधित डीएसपी के घर सिफारिश करने पहुंचा तो डीएसपी ने रात के समय घर आने पर नाराजगी दिखाते हुए गंज पुलिस स्टेशन को निर्देश दिए कि भाजपा के इन नेता को भी शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाए। बाद में यह नेता बड़ी मुश्किल से अपने सम्मान को बचा पाया। जब सत्तारुढ़ पार्टी के नेता ही पुलिस की सख्ती से पीडि़त हैं तो आम लोगों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। पुलिस पकडऩे के बाद कैसा व्यवहार करते हैं, इसकी जानकारी सभी लोगों को है। पुलिस जब भी अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए शक्ति करती हैं तो इससे आम व्यक्ति ही पेरशान होता है। इस समय अजमेर जिले में भाजपा का दबदबा है। लेकिन भाजपा के किसी भी प्रभावशाली नेता में इतनी हिम्मत नहीं कि वह पुलिस की ज्यादती के खिलाफ आवाज उठा सके। अब पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह चौधरी को ही पुलिस के व्यवहार में सुधार करवाने की जिम्मेदारी है। अच्छा हो कि टाइगर साहब अपने खुफिया तंत्र से रात के समय पुलिस स्टेशनों पर होने वाली गतिविधियों की जानकारी लें। 
एस.पी.मित्तल) (27-07-17)
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