Saturday 29 July 2017

#2839
अभी भी तो कश्मीर घाटी में सुरक्षा बल ही तिरंगे की हिफाजत कर रहे हैं। सीएम महबूबा का बयान कितना उचित।
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जम्मू कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनुच्छेद 370 के साथ छेड़छाड़ की गई तो कश्मीर में राष्ट्र ध्वज को हाथ में लेने वाला कोई नहीं होगा। उन्होंने स्वयं की पीडीपी और फारुख अब्दुल्ला के नेशनल कान्फ्रेंस को मुख्यधारा की पार्टी बताते हुए कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं को जीवन खतरे में पड़ जाएगा। महबूबा का कहना रहा कि पीडीपी और एनसी के कार्यकर्ता ही कश्मीर में राष्ट्रध्वज लेकर खड़े होते हैं। सवाल उठता है कि आखिर महबूबा को यह बात कहने की क्या जरुरत हुई। सब जानते हैं कि भाजपा की मदद से ही महबूबा जम्मू कश्मीर की सीएम है। भाजपा ने संसद में भी यह वायदा किया है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 को नहीं हटाया जाएगा। महबूबा जिन शर्तों पर सरकार चला रही हैं उसमें 370 को बनाए रखने की शर्त भी शामिल है। केन्द्र में सत्ता में आने के बाद भाजपा के किसी भी जिम्मेदार नेता ने 370 को हटाने अथवा उसके महत्व को कम करने की बात नहीं कही। महबूबा भले ही स्वयं को राष्ट्रध्वज की हिफाजत करने वाला मानती हो, लेकिन हकीकत है कि यदि केन्द्र के सुरक्षा बल तैनात न हो तो महबूबा भी कश्मीर घाटी में तिरंगे को हाथ में नहीं ले सकती। महबूबा माने या नहीं घाटी में सिर्फ सुरक्षा बल के जवान ही तिरंगे को हाथ में लेते हैं और उसकी हिफाजत के लिए अपनी जान दे देते है। महबूबा मुफ्ती हो या फारुख अब्दुल्ला ये लोग स्वत्रंता और गणतंत्र दिवस पर सीएम होने के नाते राष्ट्रध्वज फहराने की रस्म अदा करते है। जब यह लोग सीएम नहीं होते तब इन्हें भी तिरंगे से कोई सरोकार नहीं होता है। महबूबा को यह समझना चाहिए कि अनुच्छेद 370 की वजह से ही आज कश्मीर में एक तरफा माहौल है। इसकी वजह से चार लाख हिन्दुओं को पीट-पीट कर कश्मीर घाटी से भगा दिया गया। महबूबा को यदि 370 से इतना ही लगावव है तो थोड़ी मदद चार लाख हिन्दू शरणार्थियों से भी दिखनी चाहिए। जम्मू कश्मीर की सीएम होने के नाते क्या महबूबा का यह दायित्व नहीं की वह भगाए गए हिन्दुओं को वापस अपने घरों में बसाएं।
एनजीओ ने दायर की है याचिका:
वी द सिटीजन नामक एक एनजीओ ने अनुच्छे 35ए के कानूनी आधार की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया कि यह अनुच्छेद कभी भी संसद में पेश नहीं हुआ। इसे राष्ट्रपति के आदेश पर लागू किया गया। कोर्ट ने इस याचिका पर व्यापक बहस के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ बनाई है।
एस.पी.मित्तल) (29-07-17)
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