Thursday 3 August 2017

#2858
आतंकी अबु दुजाना की मौत से सबक लें कश्मीरी। शव तक नहीं लिया पाकिस्तान ने।
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3 अगस्त को कश्मीर के सोपिया में आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच जो मुठभेड़ हुई, उसमें एक मेजर और एक जवान के शहीद होने के साथ-साथ दोनों आतंकी भी मारे गए। आए दिन सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच ऐसी मुठभेड़ हो रही हैं, लेकिन कश्मीरियों को लश्कर के कमांडर अबु जुदाना की मौत से सबक लेना चाहिए। विगत दिनों मुठभेड़ में अबु दुजाना भी मारा गया।  अबु दुजाना पाकिस्तान का युवक था, लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान ने जुदाना का शव तक नहीं लिया। तीन अगस्त को मीडिया में अबु दुजाना और सेना के एक अधिकारी के मध्य हुई वार्ता उजागर हुई है। इस वार्ता में सेना के अधिकारी ने जब सरेंडर करने के लिए कहा तो दुजाना ने कहा कि वह सरेंडर नहीं कर सकता। जहां तक पाकिस्तान में रह रहे उसके माता-पिता का सवाल है तो वो उसी दिन मर गए, जिस दिन मैं उनको छोड़ कर आया था। जुदाना के इस कथन से जाहिर होता है कि पाकिस्तान के कट्टरपंथी युवाओं का किस प्रकार से इस्तेमाल कर रहे हैं। इस बात को कश्मीर के लोगों को भी समझना चाहिए। पाकिस्तान का मकसद कश्मीर को आजाद कराना नहीं बल्कि भारत को परेशान करना है। पाकिस्तान से कुछ युवाओं को भेज कर कश्मीरियों को गुमराह किया जाता है। यदि पाकिस्तान की हमदर्दी युवाओं के प्रति होती तो वह अबु दुजाना का शव लेकर उसके माता-पिता को सौंपता। लेकिन पाकिस्तान ने यह जता दिया कि वह सिर्फ युवाओं का इस्तेमाल करता है। कश्मीर में जो युवक सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकते हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि अब सेना भी सख्त कार्यवाही कर रही है। अलगाववादियों के संगठन हुर्रियत के नेताओं की असलियत भी कश्मीरियों के सामने उजागर हो गई है। हुर्रियत के सभी नेता अपने बच्चों को तो देश के दूसरे क्षेत्रों अथवा विदेशों में पढ़ाते हैं, जबकि कश्मीरी युवाओं को सेना पर पत्थर फेंकने के लिए उकसाते हैं। 
एस.पी.मित्तल) (03-08-17)
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