Wednesday 9 August 2017

#2883
ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान के नजराने की राशि पर फिर विवाद।
अंजुमन शेख जादगान ने पूर्व फैसला पलटा। 
9 अगस्त को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन शेख जादागान की एक बैठक हुई। इस आम बैठक में सर्वसम्मिति से यह फैसला लिया गया कि दरगाह दीवान जुनैल आबेदीन को भविष्य में नजराने की कोई राशि नजराने के तौर पर नहीं दी जाए। बैठक में कहा गया कि जब दीवान के नजराने का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है तो फिर कोर्ट से बाहर समझौता कर लाखों रुपए की राशि प्रतिवर्ष दीवान को क्यों दी जा रही है। अंजुमन के इस फैसले से दीवान के नजराने को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। दरगाह में खादिमों की दो संस्थाएं हैं। एक अंजुमन शेख जादगान तो दूसरी अंजुमन सैय्यद जादगान गत वर्ष दोनों अंजुमनों ने दरगाह दीवान से समझौता किया था। इस समझौते के अंतर्गत दीवान को उसके हिस्से के 2 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष देना तय हुआ। चूंकि अंजुमन जादगान के खादिमों की संख्या कम है, इसलिए इस अंजुमन के द्वारा 33 प्रतिशत राशि देना तय हुआ। गत वर्ष इस अंजुमन के अध्यक्ष आरिफ चिश्ती, सचिव हफीर्जुर रहमान थे, जबकि इस वर्ष हुए चुनावों में अब्दुल जर्रार चिश्ती अध्यक्ष और डॉ. अब्दुल माजिद चिश्ती सचिव बने। नए पदाधिकारियों ने पुराने अंजुमन के फैसले को बदल दिया। 
आधे पर जताया हक:
दीवान आबेदीन ने दरगाह में आने वाले आधे नजराने पर अनना हक जताया था। नजराने को बांटने के लिए कोर्ट ने भी दिशा निर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने आदेश से ही दरगाह परिसर में दान पेटियां भी लग गई। कोर्ट के आदेश से नजराने का बंटवारा होता, इससे पहले ही खादिमों और दीवान आबेदीन ने कोर्ट के बाहर समझौता कर लिया। हालांकि अंजुमन सैय्यद जादगान अभी भी अपने पूर्व फैसले पर कायम हैं। 
एस.पी.मित्तल) (09-08-17)
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