Sunday 13 August 2017

#2897
अजमेर उपचुनाव में धौलपुर फार्मूला अपना सकती है भाजपा। दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीता है। 
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भाजपा के सांसद सांवरलाल जाट के निधन के बाद होने वाले अजमेर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा धौलपुर का फार्मूला अपना सकती है। यानि स्वर्गीय जाट के परिवार के किसी सदस्य को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। हाल ही में सम्पन्न हुए धौलपुर विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा ने पूर्व विधायक बी.एल. कुशवाह की पत्नी शोभारानी को ही उम्मीदवार बनाया और जातीय समीकरण में भाजपा की जीत हो गई। भाजपा ने शोभारानी को तब उम्मीदवार बनाया जब उनके पति बी.एल. कुशवाह को अदालत ने हत्या के आरोप में दोषी ठहरा दिया। सजा के बाद कुशवाह का विधायक पद भी चला गया। लेकिन जब भाजपा ने कुशवाह की पत्नी शोभारानी को उम्मीदवार बनाया तो विधायक का तमगा वापस कुशवाह परिवार में आ गया। हालांकि अजमेर में धौलपुर जैसे हालात नहीं है क्यों कि स्वर्गीय सांवरलाल जाट का अजमेर में लम्बा राजनीतिक सफर रहा है। चूंकि अगले वर्ष नवंबर में ही राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसलिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ऐसा कोई निर्णय नहीं लेना चाहती, जिसमें जोखिम हो। भाजपा के भी बड़े नेताओं का मानना है कि यदि स्वर्गीय जाट के परिवार से किसी को उम्मीदवार बनाया जाता है तो भाजपा की जीत हो सकती है। लेकिन वहीं भाजपा का एक धड़ा यह मानता है कि स्वर्गीय जाट के परिवार के किसी सदस्य को लोकसभा के बजाए विधानसभा के चुनाव में उम्मीदवार बनाया जाए। स्वर्गीय जाट ने भी नसीराबाद के उपचुनाव में उनके पुत्र रामस्वरूप लाम्बा को टिकट देने की मांग की थी, लेकिन तब भाजपा हाईकमान ने साफ इंकार कर दिया। लेकिन तब भाजपा को नसीराबाद उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इसलिए भाजपा इस बार जाट की लोकप्रियता की अनदेखी नहीं करना चाहती है। भाजपा स्वर्गीय जाट की बेटी सुमन चौधरी के नाम पर भी विचार कर सकती है। श्रीमती सुमन के ससुर मदन गोपाल चौधरी अजमेर सेन्ट्रल कॉ-आपरेटिव बैंक के अध्यक्षक है। चौधरी भी इस प्रयास में है कि उनकी पुत्रवधु को उम्मीदवार बना दिया जाए। हालांकि अभी स्वर्गीय जाट के परिवार ने उम्मीदवारी को लेकर दावेदारी नहीं जताई है। लेकिन राजनीति का दस्तुर ही ऐसा है कि कोई पद खाली होने के साथ ही दावेदार सक्रिय हो जाते हैं। चूंकि जिले भर में स्वर्गीय जाट की लोकप्रियता रही। इसलिए जाट समुदाय का कोई दूसरा नेता फिलहाल सामने नहीं आ रहा है। ऐसा नहीं कि जाट समुदाय का कोई नेता उपचुनाव लडऩा नहीं चाहता। लेकिन इच्छुक नेता भी स्वर्गीय जाट के परिवार में से किसी को भी उम्मीदवार बनाने के पक्ष में है। लेकिन यदि किन्हीं कारणों से स्वर्गीय जाट के परिवार में से उम्मीदवार नहीं बनाया जाता है तो भाजपा में अनेक जाट नेता चुनाव लडऩे के इच्छुक है। ऐसे में दूसरी जातियों के नेता भी दावेदारी जता सकते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों से जाट के पुत्र रामस्वरूप लाम्बा राजनीति में सक्रिय रहे। स्वर्गीय जाट का स्वास्थ्य खराब होने की वजह से बैठकों में लाम्बा ही सांसद प्रतिनिधि के तौर पर भाग ले रहे थे। स्वर्गीय जाट के समर्थक भी चाहते हैं कि लाम्बा को भाजपा का उम्मीदवार बनाया जाए। 
(एस.पी.मित्तल) (13-08-17)
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