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संघ प्रमुख मोहन भागवत को केरल के एक प्राइवेट स्कूल में ध्वजारोहण करने से रोकना कितना उचित। क्या यह वामपंथी सरकार की द्वेषता नहीं है?
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केरल में वामपंथी सरकार किस राजनीतिक द्वेषता के साथ काम कर रही है इसका उदाहरण स्वाधीनता दिवस 15 अगस्त को केरल के पलक्कर इलाके में देखने को मिला। इस क्षेत्र के करनाकियामम के एक प्राइवेट स्कूल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भगवत को स्वाधीनता दिवस पर प्रात:9 बजे ध्वजारोहण करना था, लेकिन 14 अगस्त की रात को ही जिला प्रशासन ने स्कूल के संचालक को नोटिस जारी करते हुए कहा कि स्कूल में कोई जनप्रतिनिधि या फिर स्कूल के प्रमुख ही ध्वजारोहण कर सकते हैं। इस नोटिस में यह भी कहा गया कि चूंकि इस स्कूल को राज्य सरकार से आर्थिक मदद मिलती है, इसलिए सरकार का आदेश मानना अनिवार्य है। यानि संघ प्रमुख मोहन भगवान से ध्वजारोहण न करवाया जाए। लेकिन स्कूल संचालक ने प्रशासन के इस नोटिस को दरकिनार कर संघ प्रमुख से ही ध्वजारोहण करवाया। संचालक को भी पता है कि अब केरल की वामपंथी सरकार उसे बेवजह परेशान करेगी। सब जानते हैं कि केरल में सरकारी संरक्षण में संघ के कार्यकर्ताओं की हत्याएं की जा रही है। केरल के हालातों को देखते हुए ही संघ प्रमुख ने केरल के एक प्राइवेट स्कूल में ध्वजारोहण करने का निर्णय लिया था। सवाल उठता है कि आखिर संघ प्रमुख को ध्वजारोहण करने से क्यों रोका गया? क्या यह वामपंथी सरकार की राजनीतिक द्वेषता नहीं है? केरल की वामपंथी सरकार को चाहिए कि वह बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के नागरिकों से समान व्यवहार करें।
एस.पी.मित्तल) (16-08-17)
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