Monday 6 November 2017

#3234
तो वसुंधरा राजे के मीडिया पर अंकुश लगाने वाले बिल का जवाब पीएम नरेन्द्र मोदी ने दे दिया। राजस्थान में अब ऐसे बिल को रद्द कर देना चाहिए। 
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6 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चेन्नई में एक स्थानीय समाचार पत्र के प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मीडिया समाज को बदलने का एक माध्यम है। यही कारण है कि हम मीडिया को लोकतंत्र के चैथे स्तंभ के रूप में देखते हैं। पीएम ने कहा कि मीडिया स्वयं में सुधार के लिए सक्षम है। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से जुड़े रहने के लिए मीडिया को अतिरिक्त प्रयास करने चाहिए। पीएम मोदी ने जिस तरह अपनी बात कही उससे वसुंधरा राजे के मीडिया पर अंकुश लगाने वाले बिल का जवाब मिल गया है। मालूम हो कि राजस्थान में सीएम राजे ने विधानसभा में मीडिया पर अंकुश लगाने और भ्रष्ट कार्मिकों को बचाने को लेकर जो बिल प्रस्तुत किया है उसकी चैतरफा निंदा हो रही है। हालांकि आलोचनाओं के बाद इस बिल को विधानसभा की प्रवर समिति को सौंप दिया गया है। लेकिन इस बिल को लेकर सरकार ने जो अध्यादेश जारी किया था, वह राजस्थान में आज भी प्रभावी है। यानि सरकार की अनुमति के बिना किसी भी कार्मिक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता है और न ही मात्र आरोपों के आधार पर किसी अधिकारी के विरुद्ध कोई खबर प्रकाशित की जा सकती है। यदि खबर प्रकाशित की गई तो संबंधित मीडिया से जुड़े पत्रकार को तीन वर्ष की जेल हो सकती है। सब जानते हैं कि प्रदेश और देश में भाजपा की ही सरकार है। ऐसे में जब प्रधानमंत्री मोदी स्वयं मीडिया पर कोई अंकुश लगाने नहीं चाहते तो एक राज्य की भाजपा सरकार विधानसभा में ऐसा बिल कैसे स्वीकृत करवा सकती है। यह सही है कि राजस्थान में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला हुआ है। ऐसे में सीएम राजे चाहे तो अपने इस बिल को विधानसभा में स्वीकृत करवा सकती हैं। लेकिन अब इस बिल के संदर्भ में पीएम मोदी ने ही जवाब दे दिया है तो राजस्थान में ऐसे बिल को तत्काल प्रभाव से रद्द कर देना चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (06-11-17)
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