Thursday 27 December 2018

पाठकों को समर्पित है 5000वां ब्लाॅग।

पाठकों को समर्पित है 5000वां ब्लाॅग।
ईश्वर की कृपा से यह भरोसा बना रहे।
=======

19 से 21 दिसम्बर तक मैं ब्लाॅग नहीं लिख पाया क्योंकि मैं हरिद्वार और देवप्रयाग की यात्रा पर था। लेकिन मेरी इस धार्मिक यात्रा को उस समय और बल मिला, जब अनेक पाठकों ने फोन पर जानना चाहा कि मैंने ब्लाॅग क्यों नहीं लिखा। पाठकों का कहना रहा कि अब हमें प्रतिदिन शाम को आपके ब्लाॅग पढ़ने की आदत हो गई है। शाम चार बजते ही मोबाइल पर ब्लाॅग देखने की उत्सुकता रहती है। जिस प्रकार सुबह अखबार की तलब होती है, उसी प्रकार शाम को एसपी मित्तल के ब्लाॅग की। पाठकों की ऐसी राय सुनकर मुझे न केवल संतोष की अनुभूति हुई बल्कि लगा कि आज सोशल मीडिया का कितना महत्व हो गया है। ऐसे पाठक अजमेर और राजस्थान के ही नहीं बल्कि हिन्दी भाषी राज्यों के भी है। असल में पाठकों के स्नेह और हौंसला अफजाई की वजह से ही मैं रोजाना तीन चार ब्लाॅग लिख पा रहा हूं। इसलिए यह 5000वां ब्लाॅग में पाठकों का यह भरोसा मुझ पर बना रहे। सोशल मीडिया पर मिली इस सफलता से कुछ लोग मुझ से ईष्र्या भी रखते हैं। ऐसे कुछ लोगों में पत्रकार साथी भी हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से पहचान बनाने में मुझे किसी अखबार का सहयोग नहीं मिला है, लेकिन जब ब्लाॅग में लिखे की तुलना बड़े अखबार से होती है तो सभी पत्रकार साथियों को गर्व होना चाहिए। आज जो पत्रकार साथी अखबारों में काम कर रहे हैं उन्हें कल इसी सोशल मीडिया की जरुरत हो सकती है। मैंने एक रास्ता खोल दिया है, जिस पर हर पत्रकार साथी चल सकता है। इतनी सफलता के लिए पाठकों का भरोसा जरूरी हैं। मैं यहां यह बताना चाहता हंू कि करीब पांच हजार वाट्सएप ग्रुप में ब्लाॅग पोस्ट करता हंू। मैं किसी भी वाट्सएप ग्रुप का एडमिन नहीं हूं। वाट्सएप ग्रुपों के एडमिनों ने मुझे जोड़ रखा है। मेरे ब्लाॅग स्पाॅट पर करीब सवा लाख पाठक हैं। फेसबुक पेज की पहुंच भी करीब 25 हजार पाठकों तक हैं। इसके अतिरिक्त वेबसाइट, एप आदि के माध्यम से भी लाखों लोगों तक ब्लाॅग पहुंच रहा है। अजमेर जिले के गांव ढाणी तक तथा राजस्थान के हर शहर में ब्लाॅग पढ़ा जा रहा है। पाठकों का ही दबाव है कि प्रशासन और सरकार में बैठे लोग भी ब्लाॅग का इंतजार करते हैं। जितना पाठकों का भरोसा है उतनी ही मेहनत मैं भी करता हंू। प्रातः 11 बजे से सायं 6 बजे तक दफ्तर में बैठ कर ब्लाॅग लिखने और फिर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म के जरिए पोस्ट करने का काम होता है। इस कार्य में मुझे मेरी पत्नी श्रीमती अचला मित्तल का भी सहयोग रहता है।
एस.पी.मित्तल) (27-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
========

अजमेर अरांई थानाधिकारी रामलाल च ौधरी को छह हजार की रिश्वत लेते पकड़ा।

अजमेर अरांई थानाधिकारी रामलाल च ौधरी को छह हजार की रिश्वत लेते पकड़ा। रिश्वत में शराब की बोतले भी मांगी। पुलिस की दादागिरी भी उजागर।
======

राजस्थान की पुलिस किस तरह से दादागिरी कर मंथली वसूलती है, इसका एक बार फिर अजमेर के अरांई थाने पर भंडाफोड़ हुआ है। 27 दिसम्बर को अजमेर स्थित एसीबी की स्पेशल चैकी के एएसपी मदन दान सिंह के नेतृत्व में अरांई थाने में छापामार कार्यवाही की गई। सिंह ने बताया कि थानेदार रामलाल च ौधरी को थाने के अंदर ही छह हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया है। यह शराब ठेकेदार रामराज और नेमीचंद से ली जा रही थी। ये दोनों अरांई क्षेत्र में शराब की तीन दुकानें चलते है। पहले प्रतिमाह 12 हजार रुपए की रिश्वत थानाधिकारी को दी जाती थी। लेकिन रामलाल च ौधरी ने बीस हजार रुपए प्रतिमाह की मंथली की मांग की। साथ ही हर माह तीन बोतल शराब की देने की शर्त भी रखी। दोनों ठेकेदारों ने थानाधिकारी को समझाया कि बीस हजार रुपए की रिश्वत प्रतिमाह देना मुश्किल होगा। लेकिन थानाधिकारी ने धमकी दी कि यदि रिश्वत के साथ ब्लाॅकडोग शराब की तीन बोतले नहीं दी तो झूठे मुकदमें दर्ज कर दिए जाएंगे। पुलिस की इस दादागिरी से परेशान होकर दोनों ठेकेदारों ने एसीबी में लिखित शिकायत की। एसीबी ने जांच पड़ताल के बाद माना कि थानाधिकारी रिश्वत के लिए शराब ठेकेदारों को तंग कर रहा है। एसीबी की योजना के मुताबिक जब दोनों ठेकेदार 27 दिसम्बर को सुबह 6 हजार रुपए की राशि देने के लिए पहुंचे तो एसीबी ने थानाधिकारी को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। सिंह ने बताया कि जब एसीबी की जांच पड़ताल की कार्यवाही चल रही थी, तभी एक अन्य मामले में थानाधिकारी ने 25 हजार रुपए की रिश्वत भी ली। 
एस.पी.मित्तल) (27-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
=============

मेरे लिए मुख्यमंत्री का पद कांटों का ताज है-गहलोत।



मेरे लिए मुख्यमंत्री का पद कांटों का ताज है-गहलोत।
सीपी और महेश जोशी को मंत्री नहीं बनाना कोई मुद्दा नहीं।
केन्द्रीय मंत्री गडकरी के बयानों की प्रशंसा। 
चालू रहेगी भामाशाह जैसी योजनाएं।
=======

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि मुख्यमंत्री का पद कांटों का ताज है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुझ पर जो भरोसा जताया है उस पर खरा उतरने का प्रयास करुंगा। गहलोत 27 दिसम्बर को दिल्ली में राजनीतिक गतिविधियों में व्यस्त रहे। इसी दौरान कांग्रेस मुख्यालय पर पत्रकारों से संवाद करते हुए, गहलोत ने कहा कि कांग्रेस विधायक और वरिष्ठ नेता सीपी जोशी और महेश जोशी को मंत्री नहीं बनाने का कोई मुद्दा नहीं है। मीडिया वाले इसे मुद्दा बना रहे हैं। मीडिया का एक वर्ग यह चाहता है कि कांग्रेस की सरकार उसके नजरिए से चले। जबकि जमीनी हकीकत अलग होती है। पहले मुख्यमंत्री के पद को लेकर और फिर मंत्रियों के चयन को लेकर मीडिया ने बेवजह माहौल खराब किया। विभागों का वितरण हो या अन्य कोई निर्णय समय तो लगाता ही है। जब राहुल गांधी स्वयं एक एक चीज को देख रहे हैं। तब समय लगना वाजिब है। राहुल गांधी चाहते हैं कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरे। गहलोत ने कहा कि गत वसुंधरा राजे सरकार ने जो भी कल्याणकारी योजनाएं शुरू की उन्हें बंद नहीं किया जाएगा। प्रदेश की जनता को पहले ही तरह सुविधाएं मिलती रहेगी। हालांकि वसुंधरा सरकार ने हमारी सरकार की अनेक योजनाओं को बंद कर दिया था। मैं ऐसी राजनीति नहीं करता हंू।
गडकरी के बयान की प्रशंसा: 
गहलोत ने केन्द्रीय मंत्री नीतिन गडकरी के ताजा बयानों की प्रशंसा की है। गहलोत ने कहा कि जिस तरह गडकरी अपनी पार्टी के नेताओं की आलोचना कर रहे है। उसी तरह अन्य केन्द्रीय मंत्री सामने आएंगे। गडकरी की तरह कई केन्द्रीय मंत्रियों का कथन स्वयं को कचोट रहा है। गहलोत ने कहा कि इस समय केन्द्र सरकार में नरेन्द्र मोदी और अमितशाह ही राज कर रहे हैं। जहां तक लोकसभा चुनाव के लिए भजपा के प्रभारियों की नियुक्तियों का सवाल है तो कांग्रेस ने तो पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी है। राजस्थान में जिस दिन मैंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली उसी दिन से चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई।
मंत्री परिषद की बैठक 28 को:
गहलोत ने बताया कि मंत्री परिषद और केबिनेट की बैठक 28 दिसम्बर को जयपुर में होगी। उन्होंने कहा कि चुनाव घोषणा पत्र पर अमल किस तरह से किया जाए इस पर निर्णय लिया जाएगा।
एस.पी.मित्तल) (27-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
=============

सचिन पायलट को न गृह विभाग मिला न वित्त।

सचिन पायलट को न गृह विभाग मिला न वित्त।
आखिर गहलोत ने दे दी पटखनी।
रात  दो बजे मंत्रियों के विभागों की घोषणा का क्या तुक?
=====

राजस्थान के शहरी क्षेत्र के अखबारी पाठकों को यह देख कर आश्चर्य हुआ कि 27 दिसम्बर के अखबार खास कर दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका का प्रथम पृष्ठ बदला हुआ है। कुछ अखबारों प्रदेश के मंत्रियों के विभागों की खबर है और कुछ में नहीं। यानि बड़े शहरों में दो तरह के अखबार बंटे। असल में मंत्रियों के विभागों के वितरण पर राज्यपाल कल्याण सिंह से रात दो बजे हस्ताक्षर करवाए गए। आदेश अखबारों के दफ्तरों में पहुंचता तब तक शायद तीन बज चुके थे। तीन बजे से ही अखबारों का शहरी संस्करण छपने लगता है। यही वजह रही कि हजारों अखबारों में विभाग वितरण की खबर नहीं छपी। सम्पादकों ने मशीन को रुकवा कर नया पेज बनवाया और अखबार छपा। सवाल उठता है कि विभागों के वितरण की घोषणा इस तरह रात के अंधेरे में क्यों की गई? मंत्रियों ने तो 24 दिसम्बर को ही शपथ ले ली थी यदि 27 दिसम्बर को सूर्योदय के साथ घोषणा होती तो भी फर्क नहीं पड़ रहा था। असली कहानी क्या है यह तो सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट ही बता सकते है, क्योंकि दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के सामने ये दोनों ही आंसू बहा रहे थे। जहा तक मंत्रियों के विभागों का सवाल है तो जाहिर है कि अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को पटखनी दे दी है। जिस प्रकार सीएम का पद पायलट से छीन लिया गया, उसी प्रकार पायलट को गृह, वित्त, कार्मिक जैसे महत्वपूर्ण विभागों से वंचित कर दिया गया। जो सचिन पायलट सीएम के  दावेदार थे, उन्हें यदि गृह विभाग भी नहीं मिलता है तो उनकी राजनीतिक हैसियत का अंदाजा गाया जा सकता है। पायलट के लिए शर्म की बात यह है कि गृह और वित्त जैसे विभाग गहलोत ने अपने पास रखे हैं। यानि पायलट की स्थिति एक सामान्य मंत्री जैसी है। संविधान में डिप्टी सीएम का कोई पद नहीं होता। सिर्फ मंत्री का होता है। मंत्री के नाते ही पायलट को पंचायती राज, पीडब्ल्यूडी, ग्रामीण विकास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा सांख्यिकी विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि पायलट अभी भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं, लेकिन सवाल उठता है कि ऐसी परिस्थितियों में पायलट प्रदेशाध्यक्ष की भूमिका कैसे निभाएंगें।
दिल्ली में कमजोर स्थिति:
राजस्थान में कांग्रेस की जीत के बाद पायलट की जो दुर्दशा हुई है उससे प्रतीत होता है कि दिल्ली में अशोक गहलोत के मुकाबले पायलट की पकड़ कमजोर है। भले ही राहुल गांधी पायलट के साथ हों, लेकिन दिल्ली दरबार में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी से लेकर अहमद पटेल अविनाश पांडे, विवेक बंसल तक अशोक गहलोत के साथ नजर आए। पायलट ने भी वो सख्त रवैया नहीं अपनाया जो मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य राजे ने अपनाया। मध्यप्रदेश में जब ज्योतिरादित्य को सीएम नहीं बनाया तो उन्होंने डिप्टी सीएम का झुनझूना भी नहीं लिया। आज मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य की अलग पहचान है। लेकिन पायलट नेे गहलोत सरकार में शामिल होकर दो नावों की सवारी कर ली है। पायलट माने या नहीं लेकिन गहलोत ने अपनी राजनीतिक कुशलता से पायलट को पटखनी दे दी है। देखना होगा कि इस राजनीतिक झटके से पायलट कैसे उभरते हैं। पायलट के समर्थक मंत्रियों को भी कम महत्व के विभाग दिए गए हैं। कहा जा सकता है कि कांग्रेस को जीत दिलवाने में जिन नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही, उन्हें पायलट की निकटता का खामियाजा उठाना पड़ा। जबकि गहलोत के समर्थक माने जाने वाले मंत्री शांतिधारीवाल, बीडी कल्ला जैसों को प्रभावशाली विभाग मिले हैं। पायलट की वह से भले ही विभागों का वितरण दिल्ली दरबार में हुआ हो, लेकिन गहलोत ने अपने दबदबे को जाहिर किया है।
एस.पी.मित्तल) (27-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
=============

Tuesday 25 December 2018

राजस्थान में कांग्रेस का राज आते ही ख्वाजा साहब की दरगाह में उठा पटक।



राजस्थान में कांग्रेस का राज आते ही ख्वाजा साहब की दरगाह में उठा पटक।
अब अमन की चादर पर भी विवाद।
हज कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान विवादों में आए।
========

राजस्थान में कांग्रेस का शासन आते ही अजमेर स्थित संसार प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में उठा पटक शुरू हो गई है। केन्द्र सरकार के अधीन चलने वाली दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान की अब तक दरगाह में एक तरफा चल रही थी। यहां तक कि दरगाह के खादिमों की दोनों संस्थाएं भी पठान के साथ थीं, लेकिन 17 दिसम्बर को प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही अब पठान का विरोध शुरू हो गया है। खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के पूर्व सचिव सरवर चिश्ती ने कश्मीर स्थित चरारे शरीफ की दरगाह में चढ़ाए जाने वाली चादर को अमीन पठान के साथ भेजे जाने पर एतराज जताया है। चिश्ती का कहना है कि अमीन पठान को ख्वाजा साहब की  दरगाह की चादर देकर खादिमों के अधिकारों का हनन भी किया गया है। मालूम हो कि ख्वाजा साहब की दरगाह से चरारे शरीफ की दरगाह में चादर भेजने की परंपरा है। इसे अमन की चादर कहा जाता है। ख्वाजा साहब की मजार पर पेश हुई चादर को दरगाह कमेटी को दिए जाने पर पूर्व सचिव सरवर चिश्ती ने कड़ा एतराज जताते हुए मौजूदा सचिव हाजी सैय्यद वाहिद हुसैन को कठोर भाषा में पत्र भी लिखा है। इस पत्र के बाद खादिमों में आपसी विवाद भी बढ़ गया है। हालांकि खादिमों का विवाद जनवरी में होने वाले अंजुमन के चुनाव से भी जुड़ा है, लेकिन जिस तरह से अमीन पठान का विरोध हो रहा है, उससे प्रतीत होता है कि आने वाले दिनों में दरगाह कमेटी और खादिमों के बीच विवाद और बढ़ेगा। अमीन पठान वर्तमान में राजस्थान हज कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। गत भाजपा के शासन में मजबूत पकड़ होने की वजह से ही पठान  दो महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त हुए थे। लेकिन अब दरगाह में उनके सामने विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न हो गई है। पठान को अब राज्य सरकार का समर्थन भी नहीं मिलेगा। वहीं अंजुमन के मौजूदा सचिव वाहिद हुसैन भी बचाव की मुद्रा में आ गए हैं। वाहिद का कहना है कि गत 20 दिसम्बर को चरारे शरीफ के लिए जो चादर भेजी गई, वह खादिमों की तरफ से नहीं थी। 20 दिसम्बर को दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान अपने साथ दो चादर लाए थे। एक चादर को मजार शरीफ पर पेश किया गया था। पठान चरारे शरीफ के लिए दरगाह कमेटी की चादर ही ले गए। वाहिद ने बताया कि ख्वाजा साहब की मजार पर जो चादरें पेश होती है उन्हें अंजुमन के खजाने में भी रखा जाता है तथा अनेक चादर खादिम अपने पास रख  लेते हैं। बाद में ऐसी चादरों को ही पवित्र स्थानों पर भेजा जाता है। दरगाह में यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
पठान ने जताया था शुक्रिया:
20 दिसम्बर को दरगाह में जो समारोह हुआ था, उसमें दरगाह कमेटी के अध्यक्ष पठान ने अंजुमन सैय्यद जादगान का शुक्रिया किया था। तब यही बात सामने आई थी कि अंजुमन की ओर से अमन की चादर दी जा रही है।
एस.पी.मित्तल) (25-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
==========

राजस्थान में सरकार चलाने का विशेषाधिकार आखिर किसके पास है?

राजस्थान में सरकार चलाने का विशेषाधिकार आखिर किसके पास है? 
अब मंत्रियों के विभागों का मामला अटका।
=======

लोकतंत्र में माना तो यही जाता है कि मंत्रियों के चयन और फिर विभागों का वितरण मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है। मुख्यमंत्री चाहे जिस विधायक को मंत्री बनाए और हटाए। यदि यह सही होता तो अब तक राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर देते। राजस्थान में 11 दिसम्बर को पता चल गया था कि कांग्रेस की सरकार बनेगी। लेकिन सब जानते हैं कि दिल्ली में तीन दिनों तक मुख्यमंत्री को लेकर घमासान हुआ। न चाहते हुए भी सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनाना पड़ा। 17 दिसम्बर को गहलोत और पायलट ने शपथ भी ले ली, लेकिन मंत्रियों के चयन के लिए दोनों को दिल्ली दरबार में हाजरी देनी पड़ी। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से विचार मंथन के बाद 24 दिसम्बर को 23 मंत्रियों ने शपथ ली। यानि सीएम को अपने मंत्रियों के चयन में एक सप्ताह लग गया। अब जब मंत्रियों ने शपथ ले ली है। तो फिर विभागों के वितरण का मामला अटक गया है। 23 मंत्री बिना विभाग के ही इधर उधर भटक रहे हैं। कांग्रेस की सरकारें कैसे चले यह कांग्रेस का आंतरिक मामला हो सकता है, लेकिन कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि सरकार चलाने का अधिकार राजस्थान की जनता ने दिए है यदि सरकार के निर्णय दिल्ली से होंगे तो फिर मुख्यमंत्री का महत्व क्या रहेगा? जब विधायक दिल्ली से मंत्री पद और विभाग ले रहे हैं, तब जयपुर में अशोक गहलोत को कौन पूछेगा? कांग्रेस को यह भी समझना चाहिए कि मात्र पांच माह बाद लोकसभा के चुनाव होने हैं और तीन माह बाद आचार संहिता लागू हो जाएगी। सरकार को अपनी कार्यकुशलता तीन माह में ही दिखानी होगी। पिछली भाजपा सरकार को बेकार बताते हुए ही कांग्रेस सत्ता में आई है, लेकिन शुरुआत में ही सरकार की चाल कमजोर और सुस्त नजर आ रही है। उत्पन्न समस्याओं के लिए अभी से ही केन्द्र सरकार को दोषी ठहराया जा रहा है। सीएम अशोक गहलोत ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में यूरिया की किल्लत के लिए केन्द्र सरकार दोषी है। केन्द्र ने राजस्थान के कोटे का यूरिया भाजपा शासित हरियाणा को दिया, हालांकि केन्द्र सरकार ने गहलोत के आरोपों का खंडन कर दिया है। लेकिन सवाल उठता है कि जब चुनाव प्रचार में कांग्रेस के नेता प्रदेश में सुशासन देने का वायदा कर रहे थे, तब केन्द्र की अड़ंगेबाजी को सामने क्यों नहीं रखा। तब तो राहुल गांधी से लेकर सचिन पायलट तक ने हर समस्या के समाधान का भरोसा दिलाया। तब यह नहीं कहा कि समस्याओं के समाधान में केन्द्र सराकार का सहयोग भी चाहिए। अब तो प्रदेश में जो भी समस्या आएगी उसके लिए केन्द्र सरकार को दोषी ठहरा दिया जाएगा। यानि राज किसी का भी हो मरण जनता का होना है। नेताओं के पास अपने बचाव के अनेक बहाने होते हैं। इसलिए राजस्थान की जनता हर पांच साल में राज बदल रही है। इसके बावजूद भी भाजपा और कांग्रेस के नेता समझदारी नहीं दिखा रहे। यदि कांग्रेस के नेताओं ने अपने रैवये में बदलाव नहीं किया तो पांच साल बाद राजस्थान में भाजपा की सरकार बन जाएगी।
एस.पी.मित्तल) (25-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
=========

Monday 24 December 2018

अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बंटा है राजस्थान का मंत्रिमंडल।



अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बंटा है राजस्थान का मंत्रिमंडल।
प्रताप सिंह खाचरियावास और लालचंद कटारिया भी केबिनेट मंत्री बने।
अटल सेवा केन्द्र फिर से होंगे राजीव के नाम पर-मास्टर भंवरलाल।
===========

24 दिसम्बर को राजस्थान में 13 केबिनेट और 10 राज्यमंत्रियों ने शपथ ले ली। मंत्रियों के चयन में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोई भी फार्मूला लगाया हो, लेकिन मंत्रिमंडल सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम पायलट के बीच बंटा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण लालचंद कटारिया और प्रताप सिंह खाचरियावास का केबिनेट मंत्री बनना है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद कटारिया ने गहलोत को सीएम पद का चेहरा घोषित करने की मांग की थी। कटारिया का यहां तक कहना रहा कि यदि गहलोत को सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया गया तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनना मुश्किल है। कटारिया के इस बयान पर तब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी नाराजगी जताई थी। पायलट के समर्थकों ने कटारिया के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग भी की। विरोध के बाद भी कटारिया अपने बयान पर कायम रहे। इसी प्रकार जब अशोक गहलोत ने सीएम पद के लिए छह दावेदारों के नाम घोषित कर दिए तो प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि अशोक गहलोत कौन होते हैं सीएम तय करने वाले? खाचरियावास ने कहा कि पांच वर्षों से पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस संघर्ष कर रही है। जाहिर था कि कटारिया अपने बयान से पायलट के और खाचरियावास अपने बयान से गहलोत के नेतृत्व को चुनौती दे रहे थे। यदि गहलोत अकेले मंत्रियों का चयन करते तो खाचरियावास केबिनेट मंत्री की शपथ नहीं ले सकते थे। इसी प्रकार यदि डिप्टी सीएम पायलट की चलती तो कटारिया मंत्रिमंडल से बाहर हो जाते। जाहिर है कि गहलोत और पायलट अपने अपने समर्थकों को मंत्री बनवाने में सफल रहे है। जो विधायक पायलट की सिफारिश से मंत्री बने हैं वे पायलट को ही सीएम मानेंगे। मालूम हो कि सीएम पद को लेकर भी गहलोत और पायलट में घमासान हुआ था। बाद में पायलट को डिप्टी सीएम बनाने पर सहमति बनी। इसके बाद मंत्रियों को लेकर भी खींचतान हुई। जिस प्रकार सीएम का विवाद दिल्ली में राहुल गांधी के समक्ष सुलझाया गया, उसी प्रकार मंत्रियों का विवाद भी राहुल गांधी के समक्ष सुलझा। यानि छोटे-छोटे विवाद भी अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास जा रहे हैं।
फिर होंगे राजीव सेवा केन्द्र:
केबिनेट मंत्री की शपथ लेने के बाद मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि अटल सेवा केन्द्रों का नाम फिर से राजीव गांधी के नाम पर रखा जाएगा। पूर्व में अशोक गहलोत की सरकार ने ग्राम पंचायत स्तर पर राजीव गांधी सेवा केन्द्रों की स्थापना की थी, लेकिन पिछली भाजपा सरकार ने इन केन्द्रों का नाम बदल दिया। वे जल्द ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष सेवा केन्द्रों का नाम बदलने का प्रस्ताव रखेंगे।
एस.पी.मित्तल) (24-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
==========

एक वर्ष में रघु शर्मा ने जो मांगा, वो मिला।



एक वर्ष में रघु शर्मा ने जो मांगा, वो मिला। 
इसे कहते हैं ईश्वर की कृपा। केबिनेट मंत्री बनने के बाद अजमेर में राजनीतिक चुनौती।
======

ऐसा बहुत कम होता है जब राजनीति में मुंह मांगी सफलता मिल जाए, लेकिन कांग्रेस की राजनीति में रघु शर्मा ऐसा नेता हैं, जिन्हें एक वर्ष में अनेक सफलताएं मिल गई हैं। 24 दिसम्बर को शर्मा ने राजस्थान के केबिनेट मंत्री की शपथ लेकर शायद अपनी अंतिम इच्छा भी पूरी कर ली। केबिनेट मंत्री बनने के लिए ही शर्मा ने सांसद का पद छोड़ा हैं। यूं तो रघु शर्मा ने राजनीति के कई उतार चढ़ाव देखे। तीन बार विधायक और एक बार लोकसभा का चुनाव हारने के बाद रघु शर्मा पहली बार 2008 में अजमेर के केकड़ी से कांग्रेस के विधायक और विधानसभा में मुख्य सचेतक बने। केकड़ी का विकास करवाने में शर्मा ने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन फिर भी 2013 में शर्मा विधानसभा का चुनाव हार गए। तब यह माना गया कि अब शर्मा के सितारे गर्दिश में हैं लेकिन अजमेर के लोकसभा के उपचुनाव में शर्मा को जबरन उम्मीदवार बनाया और विपरीत परिस्थितियों के बाद भी सांसद बन गए। उपचुनाव में उम्मीदवार बनते समय ही शर्मा ने कह दिया था कि वे विधानसभा का चुनाव ही लड़ेंगे। इसे ईश्वर की कृपा ही कहा जाएगा कि मात्र एक वर्ष की अवधि में रघु शर्मा सांसद और विधायक बन गए। जनवरी 2018 में डाॅ. करण सिंह यादव ने भी अलवर से लोकसभा का उपचुनाव जीता था, लेकिन डाॅ. करण सिंह हाल ही में विधानसभा का चुनाव हार गए। माना रघु शर्मा सांसद, विधायक और केबिनेट मंत्री तक बन गए। ऐसी सफलता किसी राजनीतिज्ञ को कम ही मिलती है।
लेकिन अब चुनौती:
रघु ने मुंह मांगी सफलता तो प्राप्त कर ली है, लेकिन छह माह बाद ही शर्मा की राजनतिक कुशलता की परीक्षा होगी। मई 2019 में लोकसभा के आम चुनाव होंगे। चूंकि अजमेर जिले से रघु एक बार मंत्री हैं, इसलिए उन्हीं पर कांग्रेस उम्मीदवार को जीतवाने की जिम्मेदारी होगी। 11 माह पहले रघु शर्मा भले ही  लोकसभा का उपचुनाव जीत गए हो, लेकिन विधानसभा के चुनाव में अजमेर जिले में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। जिले की 8 सीटों में से मात्र दो पर कांग्रेस को जीत मिली है। ऐसे में रघु के सामने लोकसभा के चुनाव में कड़ी चुनौती होगी। लोकसभा चुनाव को लेकर अजमेर में भाजपाई उत्साहित हैं, क्योंकि उन्हें 8 में से 5 सीटों पर जीत मिली है, जबकि एक सीट पर भाजपा का बागी  उम्मीदवार जीता है।
राहुल की नजर में:
रघु शर्मा के लिए यह अच्छी बात है कि वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की नजर में हैं। रघु को केबिनेट मंत्री बनवाने में राहुल का भी योगदान रहा है। असल में सांसद बनने के बाद रघु शर्मा दिल्ली में राहुल के निकट आ गए। राहुल गांधी की निकटता की वजह से सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी सतर्क हैं। रघु को लगता है कि अपने बूते पर केबिनेट मंत्री बने हैं।
एस.पी.मित्तल) (24-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
==========

गहलोत-पायलट के मंत्रिमंडल में अजमेर संभाग के नागौर और भीलवाड़ा जिलों की उपेक्षा।

गहलोत-पायलट के मंत्रिमंडल में अजमेर संभाग के नागौर और भीलवाड़ा जिलों की उपेक्षा।
नागौर में 6 कांग्रेसी विधायकों में से एक को भी मंत्री नहीं बनाया।
======

24 दिसम्बर को राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के 23 मंत्रियों ने शपथ ले ली। इनमें से 13 केबिनेट और 10 राज्यमंत्री हैं। लेकिन सबसे चैंकाने वाली बात अजमेर संभाग के नागौर जिले की है। नागौर में दस में से छह विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की जीत हुई। लेकिन एक भी कांग्रेसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया। जबकि नावां के विधायक महेन्द्र च ौधरी दूसरी बार चुने गए हैं तथा जायल की विधायक श्रीमती मंजू देवी मेघवाल पहले मंत्री भी रह चुकी हैं। नागौर को जाट बहुल्य क्षेत्र माना जाता है। ऐसे में लोकसभा के चुनाव में नागौर की राजनीतिक उपेक्षा कांग्रेस को भारी पड़ सकती है। जब विधायकों को सीधे केबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है तो फिर नागौर जैसे जिले के किसी विधायक को राज्यमंत्री क्यों नहीं बनाया जा सकता? जब नागौर के मतदाताओं ने कांग्रेस को भरपूर समर्थन दिया तो फिर सरकार के गठन में उपेक्षा क्यों? नागौर में भाजपा को मात्र दो सीट मिल पाई है, जबकि दो सीट पर हनुमान बेनीवाल की पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं। कांग्रेस के जो विधायक जीते हैं उन्हें अब अपने विधानसभा क्षेत्र में जवाब देना मुश्किल होगा।
भीलवाड़ा से भी कोई मंत्री नहीं:
हालांकि भीलवाड़ा में 7 में से 2 सीटों पर ही कांग्रेस की जीत हुई है, लेकिन मंत्रिमंडल में भीलवाड़ा को भी प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। हालांकि रामलाल जाट को मंत्री बनने की उम्मीद थी, लेकिन जाट की यह उम्मीद धरी रह गई। अजमेर संभाग के टोंक जिले का प्रतिनिधित्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट करेंगे, जबकि अजमेर की जिम्मेदारी केबिनेट मंत्री रघु शर्मा की होगी। देखा जाए तो अजमेर संभाग से दो ही विधायक मंत्री बने हैं। देखना होगा कि लोकसभा चुनाव में अजमेर संभाग में कांगे्रस को कितनी सफलता मिलती है।
एस.पी.मित्तल) (24-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
==========

तो क्या अब मंत्रियों के विभागों का विवाद भी राहुल गांधी सुझाएंगे?

तो क्या अब मंत्रियों के विभागों का विवाद भी राहुल गांधी सुझाएंगे?
शपथ लेेने के बाद कमरों में ठाले बैठे मंत्री।
=======

24 दिसम्बर को राजस्थान में कांग्रेस सरकार के 13 केबिनेट और 10 राज्यमंत्रियों ने शपथ ले ली। उम्मीद तो यही थी कि शपथ ग्रहण के बाद मंत्री परिषद की बैठक होगी और सबसे पहले किसानों की कर्ज माफी के आदेश पर मुहर लगाई जाएगी। लेकिन दोपहर एक बजे शपथ ग्रहण समारोह समाप्त होने के बाद मंत्री परिषद की बैठक नहीं हो सकी। मंत्रियों के विभागों को लेकर सीएम अशोक गहलोत के सरकारी बंगले पर हुई। इस बैठक में डिप्टी सीएम सचिन पायलट और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे भी शामिल हुए। सूत्रों की माने तो विभाग बंटवारे पर गहलोत और पायलट में आपसी सहमति नहीं बन पाई। दिल्ली में एक बैठक केसी वेणुगोपाल की उपस्थिति में हुई। वेणुगोपाल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के भरोसे के हैं तथा वेणुगोपाल ने ही विधायक दल की बैठक में केन्द्रीय पर्यवेक्षक की भूमिका निभाई थी। सूत्रों के अनुसार गृह, वित्त और कार्मिक विभाग को लेकर खींचतान है। तभी डिप्टी सीएम पायलट को भी विभाग मिलने हैं। पायलट चाहते हैं कि उन्हें गृह और कार्मिक विभाग की जिम्मेदारी मिले ताकि वे सीएम के समकक्ष नजर आए। वहीं गहलोत चाहते हैं कि महत्वपूर्ण विभाग उनके समर्थक मंत्रियों के पास रहे। चूंकि विभागों को लेकर फिलहाल कोई सहमति नहीं बन रही है इसलिए यह माना जा रहा है कि विभागों के वितरण का मामला भी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ही सुलझाएंगे। इससे पहले भी मुख्यमंत्री और मंत्रियों के विवाद का मामला भी दिल्ली में सुलझा था। इस बीच जिन 23 मंत्रियों ने शपथ ली, वे बेसब्री से विभागों का इंतजार कर रहे हैं। शपथ लेने के बाद अधिकांश मंत्री सचिवालय के अपने अपने कमरों में बैठ गए। लेकिन ऐसे मंत्री फिलहाल ठाले बैठे हैं। मंत्रियों के पास कोई काम नहीं है। अलबत्ता मंत्रियों को सरकारी वाहन आदि की सुविधा मिल गई है।
देर रात तक हो सकती है घोषणा:
जानकार सूत्रों के अनुसार 24 दिसम्बर की रात तक मंत्रियों के विभागों की घोषणा हो सकती है। सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने मीडिया से कहा कि मंत्रियों को जल्द ही उनके विभाग मिल जाएंगे। दोनों ने कहा कि सरकार तेजी से जनता की सेवा करे इसके लिए विचार मंथन हो रहा है। 
यह बने हैं मंत्री:
24 दिसम्बर को बीडी कल्ला (बीकानेर), शांति धारीवाल (कोटा), परसादीलाल मीणा (लालसोट-दौसा), भंवरलाल मेघवाल (सुजानगढ़-चूरू), लालचंद कटारिया (झोटवाड़ा-जयपुर) डाॅ. रघु शर्मा (केकड़ी-अजमेर), प्रमोद जैन भाया (अंता-बांरा), विश्वेन्द्र सिंह (डीग-भरतपुर), हरीश च ौधरी (बायतू-बाड़मेर), रमेशचंद मीणा (सपोटरा-करौली), उदयलाल आंजना (निम्बाहेड़ा-चित्तौड़), प्रताप सिंह खाचरियावास (सिविल लाइन-जयपुर), सालेह मोहम्मद (पोकरण-जैसलमेर) ने केबिनेट मंत्री तथा गोविंद सिंह डोटासरा (लक्ष्मीणगढ़-सीकर), श्रीमती ममता भूपेश बैरवा (सिकराय-दौसा), अर्जुन बामणिया (बांसवाड़ा), भंवर सिंह भाटी (कोलायत-बीकानेर), सुखराम विश्नोई (सांचैर -जालौर), अशोक चांदना (हिंडोली-बूंदी), टीकाराम जूली (अलवर ग्रामीण), भजनलाल जाटव (बैर-भरतपुर), राजेन्द्र सिंह यादव (कोटपुतली-जयपुर) ने राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। इसी प्रकार राष्ट्रीय लोक दल के भरतपुर से विधायक डाॅ सुभाष गर्ग ने भी राज्यमंत्री की शपथ ली है।
एस.पी.मित्तल) (24-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
==========
Attachments area

Saturday 22 December 2018

तो क्या अब मंत्रियों को लेकर भी गहलोत ओर पायलट में हो रही है खींचतान।

तो क्या अब मंत्रियों को लेकर भी गहलोत ओर पायलट में हो रही है खींचतान।
==========

राजस्थान में अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री और सचिन पायलट ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ 17 दिसम्बर को ली थी, लेकिन छह दिन गुजर जाने के बाद भी मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो सका है। सब जानते है कि सीएम पद को लेकर गहलोत और पायलट में जोरदार खींचतान हुई थी। जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मामला नहीं सुलझा तो सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को दखल देना पड़ा। पायलट को डिप्टी सीएम बना कर मामले को एक बार तो शांत कर दिया गया, लेकिन प्रतीत होता है कि मंत्रिमंडल के गठन को लेकर गहलोत और पायलट में सहमति नहीं बन रही है। यदि दोनों में सहमति होती तो मामला राहुल गांधी तक नहीं जाता। सूत्रों के अनुसार 22 दिसम्बर को गहलोत और पायलट की मुलाकात राहुल गांधी से हो रही है। असल में राहुल तो चाहते हैं कि गहलोत और पायलट आपस में मिलकर मंत्रिमंडल का गठन कर ले। इस बात के संकेत राहुल गांधी ने दिए भी हैं। लेकिन माना जा रहा है कि मंत्रियों को दिए जाने वाले विभागों को लेकर सहमति नहीं बन रही है। विभाग तो अभी पायलट को भी लेने हैं। पायलट दिखाने के लिए भले ही डिप्टी सीएम हो, लेकिन उन्हें केबिनेट मंत्री के तरह विभाग लेने होंगे। जानकारों की माने तो पायलट गृह जैसे महत्वपूर्ण विभाग के साथ-साथ कार्मिक विभाग भी चाहते है ताकि प्रदेश ब्यूरोक्रेसी पर पकड रखी जा सके। कांर्मिक विभाग ही आईएएस, आईपीएस, आरएएस, आरपीएस जैसे अधिकारियों के तबादले करता है। आमतौर पर इन बड़े अधिकारियों के तबादले सीएमओ से होते हैं। इसलिए कार्मिक विभाग सीएम के पास या फिर सीएम के भरोसेमंद मंत्री के पास होते हैं। ऐसा कभी नहीं होता कि सीएमओ से जारी सूची पर कार्मिक विभाग का मंत्री विचार विमर्श करे। सीएमओ की सूची को ही अंतिम सूची माना जाता है। अब यदि कार्मिक विभाग सचिन पायलट के पास होता है तो फिर सीएमओ से जारी होने वाली सूची पर विचार विमर्श की संभावना बढ़ जाती है। इतना तो सभी जानते हैं कि सचिन पायलट लकीर के फकीर वाले मंत्री नहीं होंगे। पायलट के समर्थकों को आज भी लगता है कि मुख्यमंत्री के पद पर पायलट का हक था। ऐसे में अब विभागों के बंटवारे को लेकर पायलट अपना पक्ष मजबूत रखना चाहते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पायलट डिप्टी सीएम के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी बने रहेंगे। ऐसे में पायलट का सत्ता और संगठन  दोनों में दखल रहेगा। चूंकि गहलोत राजनीति के पुराने खिलाड़ी है, इसलिए माना जा रहा है कि गहलोत फिलहाल सचिन पायलट के मिजाज के अनुरूप तालमेल बैठा लें। गहलोत नहीं चाहते हैं कि इस मौके पर कोई खींचतान राहुल गांधी के सामने आए। देखना है कि आपसी सहमति से मंत्रिमंडल का गठन कब तक होता है। इस बीच गहलोत और पायलट दोनों के समर्थक विधायक मंत्री बनने के उतावले हैं। अजमेर के केकड़ी से कांग्रेस विधायक रघु शर्मा का तो मानना  है कि उनका नाम पायलट और गहलोत दोनों की  सूची में होगा। 
एस.पी.मित्तल) (22-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
==========

नसीरुद्दीन शाह कभी हमारे जवानों को शहीद करने वाले आतंकियों और उनके हिमायतियों की भी आलोचना कर दें।

नसीरुद्दीन शाह कभी हमारे जवानों को शहीद करने वाले आतंकियों और उनके हिमायतियों की भी आलोचना कर दें। भारत में और कितनी आजादी चाहिए।
=======

21 दिसम्बर को अजमेर में भाजपा की युवा शाखा के कार्यकर्ताओं ने जब फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह को विरोध किया तो शाह के समर्थन में कई लोग खड़े हो गए। अपने आप को धर्म निरपेक्ष, प्रगतिशील और समाज झंडाबरदार समझने वाले साहित्यकार लेखक, कवि आदि भी मैदान में कूद पड़े। उन्हें लगता है कि नसीरुद्दीन शाह जैसे देशभक्त, अभिनेता और समाज को दिशा देने वाले का विरोध कर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने घोर पाप किया है। इससे बोलने की आजादी खतरे में पड़ जाएगी। नसीरुद्दीन शाह को अजमेर बुलाने वाले अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल के आयेाजकों का गुस्सा तो सातवें आसमान पर है। खैर आयोजकों के लिए तो यह अच्छी खबर है कि शाह के आए बगैर ही उन्हें अखबारों के प्रथम पृष्ठ पर जगह मिल गई। जहां नसीरुद्दीन शाह के बुलंदशहर की हिंसा पर दिए गए बयान का सवाल है तो अपनी साथी कलाकार रत्ना पाठक से प्रेम विवाह कर लेने के बाद भी शाह को अपने देश में डर लगता है? शाह के प्रेम विवाह पर  शायद ही किसी ने आपत्ति की होगी। बल्कि इस प्रेम विवाह को धर्मरिपेक्षता की मिसाल बताया गया। सवाल उठता है कि 60 वर्ष की उम्र में शाह को किससे डर लग रहा है? शाह और उनके हिमायतियों में यदि हिम्मत है तो उन आतंकियों की आलोचना करे जो कश्मीर में रोजाना हमारे सुरक्षा बलों के जवानों को शहीद कर रहे हैं। नसीरुद्दीन शाह एक बार कश्मीर जाकर देखे कि हमारे जवान किन परिस्थितियों में ड्यूटी दे रहे हैं। नसीरुद्दीन शाह यह बात समझ लें कि यदि हमारे जवान कश्मीर में सीने पर आतंकियों की गोली और पीठ पर पत्थरों का सामना न करें तो कट्टरपंथी और देश के दुश्मन भारत में किसी को भी नहीं छोड़ेंगे। लोकतंत्र में आलोचना करना बहुत आसान है, लेकिन देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना बेहद मुश्किल है। शाह क्यों नहीं आतंकियों और कटटरपंथियों की आलोचना करते हैं? शाह और उनके हिमायतियों को भारत में और कितनी आजादी चाहिए? अच्छा हो कि शाह जैसे लोकप्रिय व्यक्ति देश में सद्भावना को मजबूत करने का कार्य करें। अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है,जहां हजारों हिन्दू रोजाना जियारत के लिए आते हैं। दरगाह के आसपास के हिन्दू दुकानदार अपनी दुकान खोलने से पहले दरगाह की सीढियों पर चाबियां रखते हैं। हजारों हिन्दू जायरीन पूरी अकीदत के साथ मजार शरीफ पर सजदा करते हैं। जिस देश के लोगों की ऐसी भावना हो वो किसी को धर्म के आधार पर क्या डराएगा? देश के हालात समझने की जरुरत तो शाह और हिमायतियों को है। यदि नहीं समझे तो भारत के हालात पाकिस्तान जैसे होंगे, जहां कट्टरपंथियों की हुकुमत चलती है, तब शाह भी रत्ना पाठक से विवाह नहीं  कर पाएंगे। अच्छा हो कि एक बार शाह भी पाकिस्तान के हालात देख आएं। पूरी दुनिया में भारत का माहौल सबसे अच्छा बताया जाता है। उल्टे शाह का बयान देश का माहौल खराब कर रहा है।
एस.पी.मित्तल) (22-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
==========

किसानों की कर्ज माफी पर कांग्रेस विधायक विश्वेन्द्र सिंह के सुझावों पर अमल करे गहलोत सरकार।



किसानों की कर्ज माफी पर कांग्रेस विधायक विश्वेन्द्र सिंह के सुझावों पर अमल करे गहलोत सरकार। तभी सही मायने में होगी कर्ज माफी।
=======

अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही किसानों के दो लाख तक के कृषि ऋण माफ कर दिए गए। लेकिन इस घोषणा में उन्हीं किसानों को लाभ हुआ है जो डिफाॅल्टर है। यानि जिन किसानों ने कर्ज का भुगतान समय पर कर दिया उन्हें सरकार की इस घोषणा का लाभ नहीं मिल रहा है। किसानों की इस पीड़ा को लेकर भी भरतपुर से कांग्रेस के विधायक विश्वेन्द्र सिंह ने गहलोत सरकार को सलाह दी है कि जिन किसानों ने समय पर भुगतान किया है उनका कर्जा भी माफ किया जावे। कांग्रेस विधायक ने गहलोत से संवाद करते हुए कहा कि आमतौर पर बैंक वित्तीय वर्ष की समाप्ति यानि 31 मार्च से पहले पहले कर्ज की अदला बदली कर लेती है। यानि किसानों से नगद राशि लेकर पुराने कर्जे को चुका दिया जाता है, लेकिन इसके साथ ही उन्हें फिर से नया कर्ज दे दिया जाता है। सरकार ने 31 मार्च 2018 के बाद वाले कर्जों को माफ नहीं किया है। विश्वेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार को 31 मार्च 2018 से पहले तक जो कर्ज हैं उन्हें माफ करना चाहिए तभी सही मायने में सरकार की कर्ज माफ हो सकेगी। विश्वेन्द्र सिंह ने कहा कि किसानों की जमीनी हकीकत जानने के बाद ही कर्ज माफी की घोषणा की जानी चाहिए। ऐसे बहुत से किसान हैं, जिन्होंने 31 मार्च से पहले कर्ज को चुका दिया, लेकिन अब उन्हें कर्ज माफी का लाभ नहीं मिल रहा है। विश्वेन्द्र सिंह ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे किसानों की समस्याओं को समझेंगे और राहत प्रदान करेंगे। इसमें कोई दो राय नहीं कि विश्वेन्द्र सिंह ने जो सुझाव दिया है उस पर सरकार को अमल करना चाहिए। जो किसान बैंकों से अच्छा व्यवहार रखते हैं उन्हें भी कर्ज माफी का लाभ मिलना चाहिए। जमीनी हकीकत यह है कि एक दिन के लिए मोटे ब्याज पर रकम लेकर बैंकों में जमा करवाई जाती है। जबकि ऐसे किसान कर्ज में डूबे हुए हैं। सरकार की कर्ज माफी की योजना तभी सफल होगी, जब ईमानदार किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा। 
एस.पी.मित्तल) (22-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
==========

Tuesday 18 December 2018

तीन राज्यों के झटके के बाद प्रधानमंत्री ने कहा जीएसटी को सरल बनाएंगे।

तीन राज्यों के झटके के बाद प्रधानमंत्री ने कहा जीएसटी को सरल बनाएंगे। 99 प्रतिशत वस्तुओं पर 18 प्रतिशत से भी कमटैक्स होगा।
=======

राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े और हिन्दी भाषी राज्यों में भाजपा की सरकार गंवा देने के बाद 18 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जीएसटी को और सरल बनाया जाएगा, ताकि छोटे दुकानदारों को परेशानी न हो। अब देश ऐसे मुकाम पर पहुंच गया है जहां 99 प्रतिशत वस्तुओं को 18 प्रतिशत टैक्स के दायरे में लाया जा सकता है। हवाई जहाज, हेलीकाॅप्टर, महंगी कार, शराब, सिगरेट जैसी वस्तुओं को छोड़कर सभी पर 18 प्रतिशत टैक्स लगाने पर विचार हो रहा है। मैंने स्वयं जीएसटी काउंसिल को अपने सुझाव भेज दिए है। कोई भी देश समान कर प्रणाली से ही तरक्की कर सकता है। 2013 तक जहां देश में 65 लाख करदाता थे, वहां अब 55 लाख नए कर दाता जुड़ गए हैं। यानि लोगों में टैक्स देने की प्रवृत्ति बढ़ी है। 18 दिसम्बर को मुम्बई में रिपब्लिक टीवी के एक समारोह में मोदी ने कहा कि घरेलू दबाव के बाद भारत ने विदेश नीति पर तुष्टीकरण को हावी नहीं होने दिया है। यही वजह है कि तेल उत्पादक देशों की सर्वोच्च संस्था ओपेक में भारत की राय मानी जाती है, जबकि भारत ओपेक का सदस्य नहीं है। हमारी मजबूत विदेश नीति की वजह से दुनिया में भारत के पासपोर्ट का महत्व बढ़ा है। अब भारत के नागरिक को भी सम्मान के साथ देखा जाता है। मोदी ने कहा कि कुछ लोग देश को भ्रमित कर रहे हैं, लेकिन मुझे सत्य और शक्ति पर भरोसा है। भारत के लोग सत्य पर भरोसा करेंगे। समारोह में मोदी ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाई और कहा कि अब हर नागरिक के पास अपना घर होगा। मेरी सरकार का उद्देश्य बच्चों को पढ़ाई युवाओं को कमाई तथा बुजुर्गो को दवाई का है।
मीडिया अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाए:
मोदी ने कहा कि भारत की मीडिया को अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनानी चाहिए। अब जब सैटेलाइट का युग है, तब भारत के मीडिया को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि मीडिया टू विंडों पर काम कर रहा है। यानि किस नेता ने पूर्व में क्या कहा था के साथ ताजा बयान दिखाया जाता है। प्रधानमंत्री कार्यालय में भी टू विंडो सिस्टम चल रहा है। 2013 से पहले के हालातों की तुलना अब के हालातों से की जाती है। हालांकि रिपब्लिक टीवी अंग्रेजी भाषा का है, लेकिन मोदी ने पूरा भाषण हिन्दी में दिया। मोदी ने माना कि जब फुर्सत होती है, तब में अर्णव को रिपब्लिक टीवी पर देखता हंू।
एस.पी.मित्तल) (18-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
==========

आखिर राजस्थान में क्यों नहीं हो रहा किसानों की कर्ज माफी का फैसला।



आखिर राजस्थान में क्यों नहीं हो रहा किसानों की कर्ज माफी का फैसला।
======

राजस्थान में अशोक गहलोत के साथ साथ मध्यप्रदेश में कमल नाथ और  छत्तसीगढ़ में भूपेश बघेल ने भी मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। गहलोत ने 17 दिसम्बर को सुबह 11 बजे तो कमल नाथ ने दोपहर ढाई बजे तथा बघेल ने रायपुर में सायं  6 बजे कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री की शपथ ली। शपथ लेने के दो घंटे के अंदर अंदर कमल नाथ ने मध्यप्रदेश के किसानों के दो लाख रुपए तक के कर्जे माफ कर दिए और छत्तसीगढ़ में बघेल ने कोई चार घंटे में ऐसा निर्णय ले लिया। लेकिन राजस्थान में दो दिन गुजर जाने के बाद भी किसानों की कर्ज माफी का फैसला सरकार ने नहीं लिया है। यह सही है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि दस दिन में किसानों के कर्जे माफ कर दिए जाएंगे। इस लिहाज से अभी भी आठ दिन शेष है, लेकिन राजस्थान के संदर्भ में सवाल इसलिए उठा रहा है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्रियों ने शपथ लेने के बाद कर्ज माफी की घोषणा कर दी। तर्क दिया जा रहा है कि राजस्थान में मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्ताव पास कर किसानों के कर्जे माफ किए जाएंगे। कर्ज माफी के लिए मंत्रिमंडल की बैठक को अनिवार्य बताया जा रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि ऐसा नियम मध्यप्रदेश और छत्तसीगढ़ में लागू क्यों नहीं है? जब दो राज्यों में अकेले मुख्यमंत्री के आदेश से कर्ज माफी हो सकती है तो फिर राजस्थान में क्यों नहीं? 18 दिसम्बर को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में सीना चैड़ा करते हुए कहा कि तीन में से दो राज्यों में किसानों की कर्ज माफी हो चुकी है। यदि राजस्थान में भी कर्ज माफी हो जाती तो राहुल गांधी का सीना और चैड़ा हो जाता। देखना है कि गहलोत सरकार कब तक कर्ज माफी का फैसला लेती है।
एस.पी.मित्तल) (18-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
==========

तो राहुल गांधी अब पीएम नरेन्द्र मोदी को चैन से सोने नहीं देंगे।



तो राहुल गांधी अब पीएम नरेन्द्र मोदी को चैन से सोने नहीं देंगे। तीन राज्यों में जीत के उत्साह में दिखे।
=======

राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी उत्साह में हैं। राफेल के मुद्दे पर लोकसभा को 19 दिसम्बर तक के लिए स्थगित करवाने के बाद लोकसभा परिसर में मीडिया से संवाद करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि अब हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तब तक चैन से सोने नहीं देंगे जब तक किसानों का कर्जा माफ नहीं होता। मैंने छत्तसीगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान के चुनावों में कर्जा माफ करने का वायदा किया था। सरकार बनते ही दो राज्यों में मात्र दो घंटे में कर्जा माफ कर दिया। राजस्थान में भी जल्द हो जाएगा। यह है हमारे और नरेन्द्र मोदी के काम करने में फर्क। मोदी साढ़े चार साल से कर्जा माफ नहीं कर सके हैं। अब मैंने तय कर लिया है कि मोदी जी से किसानों का कर्जा माफ करवा कर ही रहूंगा। सब मिल कर मोदीजी से लड़ेंगे। राहुल ने एक बार फिर आरोप लगाया कि मोदी ने देश के 15 बड़े उद्योगपतियों का साढ़े तीन लाख करोड़ का कर्जा माफ कर दिया है। अकेले अनिल अम्बानी पर 45 हजार करोड़ के कर्जदार हैं। मोदी जी ने राफेल विमान सौदे में 30 हजार करोड़ की चोरी कर अनिल अम्बानी को दिलवा दिए। पहले कहा था कि राफेल पर संसद में चर्चा करवाएंगे, लेकिन अब भाजपा भाग रही है। हम भाजपा और मोदी जी को ऐसे छोड़ेंगे नहीं। तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत पर राहुल गांधी ने कहा यह जीत आम आदमी की जीत है। मोदी जी की नीतियों की वजह से आम आदमी बुरी तरह परेशान है, इसलिए आम नागरिक कांग्रेस की ओर देख रहा है।
उत्साह में दिखे राहुल:
तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत से राहुल गांधी उत्साह में दिखे। राहुल को लग रहा है कि अब विपक्ष के महागठबंधन से भाजपा और नरेन्द्र मोदी को हराया जा सकता है। तीन राज्यों में राहुल गांधी ही कांग्रेस के मुख्य प्रचारक थे। राहुल ने इन राज्यों में न केवल सभाएं की, बल्कि रोड शो भी किया। पहले गुजरात फिर कर्नाटक में सफलता और अब तीन राज्यों में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने से राहुल गांधी जोश में आ गए हैं। इसलिए सीधे प्रधानमंत्री पर हमला कर रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (18-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
==========

अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनते ही अजमेर के मदार गेट से मालियों के अतिक्रमण हटाए

अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनते ही अजमेर के मदार गेट से मालियों के अतिक्रमण हटाए। बाजार बंद। 
=======


17 दिसम्बर को अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 18 दिसम्बर को अजमेर के मदार गेट बाजार से बड़े पैमाने पर अस्थाई अतिक्रमण हटा दिए। ट्रेफिक पुलिस की इंस्पेक्टर सुनीता गुर्जर ने सख्ती दिखाते हुए दुकानदारों के अतिक्रमण हटाए ही, साथ ही कस्तूरबा अस्पताल के चबूतरे पर बैठने वाले फूल मालाओं के विक्रेताओं के अतिक्रमण भी हटा दिए। सुनीता गुर्जर की सख्त कार्यवाही से थोड़ी ही देर में मदारगेट बाजार बंद करा दिया गया। असल में मदार गेट पर दुकानदारों के अस्थाई अतिक्रमण को लेकर लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही थी। इसी प्रकार फूल मालाओं के विक्रेता चबूतरे पर बैठने के बजाए चबूतरे के आगे सड़क पर अतिक्रमण कर यातायात को बाधित कर रहे थे। शिकायतों के मद्देनजर ही ट्रेफिक पुलिस ने 18 दिसम्बर को सख्ती के साथ अतिक्रमणों को हटा दिया। कुछ दुकानदारों ने विरोध किया तो सुनीता गुर्जर की झड़प भी हो गई। पुलिस के व्यवहार को लेकर कवंडसपुरा और मदारगेट के दुकानदारों ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर दिए। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन, भाजपा की नेत्री भारती श्रीवास्तव आदि ने भी लोगों को समझाया। सभी का यह मानना था कि मदारगेट से अतिक्रमण हटाए जाने से यातायात सुगम हुआ है वहीं दुकानदारों का कहना रहा कि बाजार में ठेले वालों की वजह से यातायात बाधित होता है इस पर पुलिस ने भरोसा दिलाया कि ठेलों को बाजार में आने नहीं दिया जाएगा। मदार गेट के अनेक व्यापारी भी पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट नजर आए। असल में अजमेर शहर में मदार गेट ऐसा व्यस्ततम बाजार है, जहां चैपहिया वाहनों के प्रवेश पर रोक है। पूर्व में यातायात की स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने चैपहिया वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाई थी। लेकिन यह रोक तब बेअसर हो गई जब मदार गेट के दुकानदारों ने स्वयं अस्थाई अतिक्रमण कर लिए। फूल मालाओं के विक्रेताओं के अतिक्रमण से तो जाम की स्थिति रहने लगी। यह सही है कि पुलिस की मिली भगत से ही ठेले वाले बाजार में इधर-उधर खड़े हो जाते हैं, इससे भी यातायात प्रभावित होता है। 
एस.पी.मित्तल) (18-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
==========

Monday 10 December 2018

राहुल गांधी को पता है कि कांग्रेस का मुख्यमंत्री कौन होगा?

राहुल गांधी को पता है कि कांग्रेस का मुख्यमंत्री कौन होगा?
कांग्रेस के दिग्गज नेता जयपुर में जुटे।
=======

11 दिसम्बर को मतगणना के बाद कांग्रेस को बहुमत मिलने पर राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा? इस सवाल का जवाब सिर्फ राहुल गांधी के पास है। सात दिसम्बर को मतदान समाप्त होने के बाद सीएम पद के प्रबल दावेदार अशोक गहलोत और सचिन पायलट दिल्ली पहुंच गए। तीन दिन दिल्ली में रहने के बाद दोनों नेता दस दिसम्बर को वापस जयपुर आ गए पायलट और गहलोत दोनों का कहना रहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जो नाम सुझाएंगे वही मुख्यमत्री बनेगा। माना जा रहा है कि 12 दिसम्बर को जयपुर में विधायक दल की बैठक होगी और मुख्यमंत्री पद का निर्णय आला कमान पर छोड़ने का प्रस्ताव पास किया जाएगा। इसके बाद दिल्ली से पर्यवेक्षक आएंगे और राहुल गांधी के बताए अनुसार विधायक दल की बैठक में नाम की घोषणा कर देंगे। यह तभी होगा, जब कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलेगा। यदि पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो फिर कांग्रेस के दिग्गज नेता पहले जोड़तोड  करेंगे। इस जोड़तोड  में जिस नेता की भूमिका प्रबल होगी उसके मुख्यमंत्री बनने की संभावना है। यही वजह है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट में से किसी ने भी मुख्यमंत्री के पद पर दावेदारी नहीं जताई है। अलबत्ता दस दिसम्बर को भी सचिन पायलट का कहना रहा कि मुख्यमंत्री का निर्णय आला कमान ही करेगा। पायलट ने कहा कि मतगणना के बाद स्थिति साफ हो जाएगी। जयपुर पहुंचने वाले सभी नेता इस बात पर भी मशक्कत कर रहे हैं कि यदि पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो फिर निर्दलीय या अन्य छोटे राजनीतिक दलों के विधायकों से किस प्रकार सम्पर्क साधा जाए। जिन निर्दलीय विधायकों के जीतने की संभावना है उनसे सम्पर्क करने की रणनीति बनाई गई है। 
भाजपा में भी मंथन जारी:
एग्जिट पोल कुछ भी कहे, लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और अन्य नेताओं को उम्मीद है कि भाजपा को बहुमत मिलेगा। यदि पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो भी जोड़तोड कर भाजपा की सरकार बनेगी। यही वजह है कि भाजपा के बड़े नेताओं ने भी सरकार बनाने की रणनीति शुरू कर दी है। इस बीच कहा जा रहा है कि 13 दिसम्बर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह ने दिल्ली में राजस्थान की कोर कमेटी की बैठक बुलाई है।
एस.पी.मित्तल) (10-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
===========