Monday 12 March 2018

किरोड़ी की वापसी क्या वसुंधरा राजे की मजबूरी है? 
नामांकन के मौके पर भी शक्ति प्रदर्शन।
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12 मार्च को जयपुर में राज्यसभा के लिए नामांकन के अवसर पर जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ उससे प्रतीत होता है कि डाॅ. किरोड़ी लाल मीणा की भाजपा में वापसी सीएम वसुंधरा राजे की मजबूरी रही है। 12 मार्च को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव और वरिष्ठ नेता मदनलाल सैनी के साथ-साथ डाॅ. मीणा ने भी भाजपा उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया। हालांकि यह भाजपा के लिए ऐतिहासिक मौका था, क्योंकि अब राज्यसभा में राजस्थान से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व समाप्त हो जाएगा। भाजपा के इन तीनों उम्मीदवारों की जीत तय है। क्योंकि कांग्रेस ने उम्मीदवार ही खड़ा नहीं किया है। अब राजस्थान की सभी 10 सीटों पर भाजपा के सांसद होंगे। हाल ही के लोकसभा के उपचुनावों में दोनों सीटों पर कांग्रेस की जीत हो गई है। नहीं तो लोकसभा में भी राजस्थान से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व समाप्त हो जाता। इस ऐतिहासिक मौके पर भाजपा पर डाॅ. किरोड़ी की वापसी हावी रही। डाॅ. किरोड़ी 11 मार्च को ही भाजपा में शामिल हुए और आज राज्यसभा के सांसद भी बन गए। इस अवसर पर भाजपा की उपवलब्धि की चर्चा होनी चाहिए थी, लेकिन प्रदेशभर में किरोड़ी की चर्चा होती रही। विधानसभा के बाहर पहले से ही किरोड़ी का रथ तैयार खड़ा था। किरोड़ी के आह्वान पर पहले से ही हजारों समर्थक मौजूद थे। इसे सीएम वसुंधरा राजे की राजनीतिक मजबूरी ही कहा जाएगा कि उन्हें किरोड़ी से पहले इस रथ पर आना पड़ा और किरोड़ी के समर्थकों को संबोधित भी करना पड़ा। यानि किरोड़ी के रथ पर सवार होकर सीएम को भाषण देना पड़ा। हालांकि सीएम ने भी राजनीतिक चतुराई दिखाते हुए कहा कि आप लोगों की वजह से ही किरोड़ी को वापस भाजपा में आना पड़ा है। इसके लिए मैं आप सब लोगों का आभार प्रकट करती हंू। चूंकि किरोड़ी नामांकन के बाद विधानसभा में पैदल ही रवाना हुए। इसलिए सीएम के डेढ़ घंटे बाद अपने रथ पर पहुंचे। सवाल यह नहीं है कि आखिर सीएम को किरोड़ी के समर्थकों को संबोधित करने की क्या जरूरत थी? वो तब जब किरोड़ी मौजूद ही नहीं थे। किरोड़ी पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें भाजपा हाईकमान ने ही भाजपा में शामिल होने के लिए कहा था और हाईकमान ने ही राज्यसभा में भेजा है। भले ही किरोड़ी सीएम राजे से मिलते रहे हों, लेकिन भाजपा में वापसी का मामला दिल्ली में तय हुआ। किरोड़ी ने अपने समर्थकों को भरोसा दिलाया है कि भाजपा में पूरा सम्मान मिलेगा। इसलिए समर्थकों से किरोड़ी ने कहा कि वह मोबाइल के जरिए भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर लें। अब देखना है कि किरोड़ी अपने समर्थकों का कितना सम्मान भाजपा में करवाते हैं। वैसे किरोड़ी की वापसी से दौसा के भाजपा सांसद हरीश मीणा जैसे नेता खुश नहीं है। ऐसे नेताओं का कहना है कि बदली हुई परिस्थितियों में किरोड़ी का प्रभाव पहले जैसा नहीं है। यही वजह रही कि 12 मार्च को किरोड़ी को जयपुर में शक्ति प्रदर्शन करना पड़ा।
एस.पी.मित्तल) (12-03-18)

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