Monday 19 March 2018

पीएम मोदी की चादर के लिए केन्द्रीय मंत्री नकबी ने अंजुमन को क्यों नहीं कहा।

पीएम मोदी की चादर के लिए केन्द्रीय मंत्री नकबी ने अंजुमन को क्यों नहीं कहा। किसी भी स्तर पर नहीं दिखाई गंभीरता।
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19 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में पवित्र मजार पर चादर पेश की गई। ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में प्रधानमंत्री की ओर से चादर पेश करने की परंपरा है। इस परंपरा को मोदी ने पूरी गंभीरता के साथ निभाया है, लेकिन चादर पेश करने आए केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने किसी भी स्तर पर गंभीरता नहीं दिखाई। प्रधानमंत्री की ओर से चादर पेश किए जाने के इतिहास में यह पहला अवसर रहा, जब किसी प्रधानमंत्री ने अपना वीडियो संदेश जारी किया। अब तक लिखित संदेश ही कोई मंत्री पढ़कर सुनाता था। लेकिन इस बार दरगाह और कायड़ विश्राम स्थली पर एलईडी स्क्रीन लगाकर पीएम का संदेश सुनाया गया। इतना ही नहीं चादर को पीएम मोदी ने पूरी अकीदत के साथ दिल्ली में नकवी को सौंपा था। दरगाह में यह परंपरा है कि यदि किसी प्रधानमंत्री अथवा वीआईपी व्यक्ति का पारिवारिक खादिम नहीं होता है तो दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन के पदाधिकारी चादर को मजार शरीफ पर पेश करते हैं। इसके लिए अंजुमन को सूचना देनी होती है। लेकिन 19 मार्च को केन्द्रीय मंत्री नकवी ने प्रधानमंत्री की चादर पेश करने के लिए अंजुमनों को सूचना नहीं दी। जिला प्रशासन की सूचना पर अंजुमन के सचिव अन्य पदाधिकारी दरगाह में उपस्थित तो रहे, लेकिन चादर चढ़ाने की रस्म में अंजुमन की कोई भूमिका नहीं रही। नकवी के खादिम माने जाने वाले अब्दुल बारी और अफशन चिश्ती ने ही चादर को पेश किया। इस संबंध में अंजुमन सचिव अंगारा का कहना रहा कि प्रधानमंत्री की चादर अंजुमन के द्वारा पेश की जानी चाहिए थी। आखिर में चादर सम्पूर्ण देश की ओर से मानी जाती है। यह देश के सम्मान की भी बात है। उन्होंने माना कि केन्द्रीय मंेत्री नकवी ने अंजुमन को कोई सूचना नहीं दी।
मोदी का संदेशः
भारत के बारे में कहा जाता है यह शब्दों में बयां नहीं होता बल्कि इसे महसूस किया जाना चाहिए। देश में विभिन्न दर्शनों के मूल में शांति, एकता और सद्भावना निहित रही है, सूफीवाद भी उनमें से एक है।
जब हम भारत में सूफी संतों की बात करते हैं तो ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती महान आध्यात्मिक परंपराओं के प्रतीक रूप में दिखाई देते हैं। 
इस महान संत के वार्षिक उर्स के अवसर पर दरगाह अजमेर शरीफ पर चादर भेजते हुए मैं उन्हें खि़राज-ए-अक़ीदत पेश करता हंू और हमारी संस्कृति की विशेषता रहे सद्भावपूर्ण सहअस्तित्व की कामना करता हंू। ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के विश्वभर के अनुयायियों को वार्षिक उर्स पर बधाई व शुभाकामनाएं।
सीएम राजे की प्रशंसाः
नकवी ने भले ही प्रधानमंत्री की चादर को पेश करने में गंभीरता नहीं दिखाई हो लेकिन राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे की जमकर प्रशंसा की। चादर पेश करने के बाद मीडिया से संवाद करते हुए नकवी ने कहा कि राजे सीएम के तौर पर बेहतरीन काम कर रही है। एक दो उपचुनाव में हार हो जाने से मुख्यमंत्री को बदला नहीं जाता। उन्होंने कहा कि राजे के नेतृत्व में ही राजस्थान में भाजपा की सरकार चलती रहेगी।
बैठक से भी दूर रखा अंजुमनों कोः
अपने संक्षिप्त अजमेर प्रवास में नकवी ने कायड़ विश्राम स्थली पर उर्स के इंतजामों को लेकर एक बैठक भी की। इस बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ दरगाह कमेटी के पदाधिकारी नाजिम आदि के साथ-साथ दरगाह दीवान के उत्तराधिकारी नसीरुद्दीन चिश्ती भी उपस्थित थे। लेकिन उर्स में दरगाह के अंदर धार्मिक रस्मों को निभाने वाले खादिमों की दोनों अंजुमनों के पदाधिकारियों को आमंत्रित नहीं किया गया। बैठक में उन्हीें लोगों को बुलाया जो इंतजामों की अच्छी तस्वीर रख सके।

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