Sunday 18 March 2018

नरेन्द्र मोदी के शासन में कैसे हो रही हैं आॅन लाइन भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ीघ् राजस्थान में भी कांस्टेबल परीक्षा बीच में ही रोकी।

नरेन्द्र मोदी के शासन में कैसे हो रही हैं आॅन लाइन भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ीघ् राजस्थान में भी कांस्टेबल परीक्षा बीच में ही रोकी।
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आमतौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन को साफ.सुथरा और पारदर्शी माना जाता है। मोदी जब भी भाषण देते हैं तो सरकार के ईमानदार होने का दावा करते हैं। देश के जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं वहां भी सरकार में मोदी को ही देखा जाता है। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि केन्द्र सरकार द्वारा ली जाने वाली एसएससी की आॅन लाइन परीक्षा में बेईमानी हो गई। इस परीक्षा में कोई 50 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए। दिल्ली में धरना दे रहे अभ्यर्थियों का आरोप है कि आईटी तकनीक के जानकार लोगों ने पेपर ही आउट कर दिया। अभ्यर्थियों को लाखों रुपए में बेचा गया।  इस घटनाक्रम में सरकारी कारिंदों और परीक्षा आयोजित करने वाली निजी कंपनी सिफी की मिलीभगत सामने आ रही है। आरोप है कि परीक्षा से पूर्व कंपनी के साॅफ्टवेयर की तकनीकी जांच नहीं की गई। यहां तक कि पेपर अपलोड का काम भी कंपनी के कर्मचारियों ने ही किया। सवाल उठता है कि नरेन्द्र मोदी के शासन में निजी कंपनी को इतनी छूट क्यों दी गईघ् अब किसी निजी कंपनी को छूट दी जाती है कि तो फिर देश के युवाओं को लूटने का काम शुरू हो जाता है। ऐसे आरोप तो कांग्रेस के शासन में लगते थेए इसलिए देश के युवाओं ने कांग्रेस का बिस्तार ही गोल कर दियाए लेकिन अब यदि मोदी के राज में भी युवाओं को कांग्रेस के शासन वाली मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा तो फिर प्रधानमंत्री के दावों का क्या होगाघ् यह माना कि मोदी एसएससी और राजस्थान में कांस्टेबल परीक्षा की निगरानी का काम नहीं कर सकतेए ऐसी नीति तो बना ही सकते हैं जिसमें लूट और बेईमानी नहीं हो।
कांस्टेबल की परीक्षा भी रूकीः
राजस्थान में होने वाली पुलिस कांस्टेबल की परीक्षा भी बीच में ही रोक दी गई। जिस प्रकार एसएससी की परीक्षा में बेईमानी हुई वैसे ही कांस्टेबल की आॅनलाइन परीक्षा में खुली लूट हुई। आईटी के जानकार लोगों ने परीक्षा लेने वाली कम्प्यूटर कंपनी एप्टेक का सर्वर ही हैक कर लिया। इतना ही नहीं हरियाणा में समानंतर कंट्रोल रूम स्थापित कर अभ्यर्थियों को आॅन लाइन ही मदद कर दी। सवाल उठता है कि राज्य सरकार ने एप्टेक कंपनी की गतिविधियों की निगरानी क्यों नहीं कीघ् कोई विभाग परीक्षा का काम ठेके पर देकर बेफिक्र क्यों हो जाता हैघ् क्या कांस्टेबल की परीक्षा में राजस्थान पुलिस की कोई जिम्मेदारी नहीं थीघ् आखिर एक प्राइवेट कंपनी को इतनी छूट क्यों दी गईघ् जिस पुलिस का काम बेईमानों को पकड़ना है उसी पुलिस की परीक्षा में सेंधमारी हो गई। अंदाजा लगाया जा सकता है कि लुटेरे कितने होशिार और चालक हैं। हालांकि अब 20 मार्च से शुरू होने वाली द्वितीय चरण की परीक्षा को स्थगित कर दिया गया हैए लेकिन इसके साथ ही पहले चरण की परीक्षा पर भी सवालिया निशान लग गया है। राजस्थान की वसुंधरा सरकार को चाहिए कि लुटेरों के खिलाफ कार्यवाही करने के साथ.साथ एप्टेक जैसी कंपनियों की भी जांच करवाई जाए। प्राइवेट कंपनियों की मिली भगत के बिना लूट संभव नहीं है। राजस्थान में पहले चरण की परीक्षा में तीन लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। द्वितीय चरण की परीक्षा में भी इतने ही अभ्यर्थियों को शामिल होना था।

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