Wednesday 21 March 2018

संसद नहीं चलने पर सांसदों को वेतन और भत्ते भी नहीं मिलने चाहिए।

संसद नहीं चलने पर सांसदों को वेतन और भत्ते भी नहीं मिलने चाहिए।
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21 मार्च को भी संसद के दोनों सदन नहीं चलने, बजट सत्र में पिछले कई दिनों से लगातार ऐसा ही हो रहा है हंगामा करने वाले विपक्षी दलों का कहना है कि भाजपा जब विपक्ष में थी तब उसके सांसद भी ऐसा ही करते थे। यूपीए की सरकार में भाजपा और अन्य दलों के सांसद भी संसद को नहीं चलने देते थे। सवाल यह नहीं है कि संसद को कब कौन नहीं चलने दे रहा है। सवाल यह है कि जब संसद चल ही नहीं रही है तो सांसदों को वेतन और भत्ते की राशि क्यों दी जा रही है। सरकारी कर्मचारियों पर नो वर्क नो पे का नियम लागू है। क्या यह नियम सांसदों पर लागू नहीं होना चाहिए? संसद चलने पर एक दिन का खर्चा करीब 9 करोड़ रुपए खर्च करने ही पड़ेंगे। सांसदों को जब अपने वेतन और भत्ते बढ़वाने होते हैं तो सभी राजनीतिक दल एक हो जाते हैं। जब सांसद गरीब जनता के वोट से चुने जाते हैं तो फिर जनता के प्रति उनका दायित्व भी होता है। सांसदों को स्वेच्छा से चाहिए कि वह संसद नहीं चलने पर वेतन और भत्ते की राशि नहीं ले, जहां तक वर्तमान सरकार का सवाल है तो उसके सांसद अपनी ओर से पहल कर भुगतान न लेने के काम को शुरू कर सकते हैं। बिना काम के वेतन और भत्ते लेना सांसदों के लिए बेहद ही शर्मनाक है। बड़ी अजीब बात है कि जो सांसद हंगाम कर संसद की कार्यवाही को स्थगित करवाते हैं वो ही बड़ी बेशर्मी से वेतन और भत्ते की राशि वसूल लेते है। यूं तो वेतन और भत्तों के अलावा सांसदों को अनेक सुविधाएं मिलती है। इनमें 16 रुपए प्रति किलोमीटर का परिवहन भत्ता भी शामिल है।

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