Saturday 5 May 2018

तो क्या राजस्थान में गुर्जरों को ओबीसी कोटे से 5 प्रतिशत विशेष आरक्षण मिल सकेगा? चुनाव को देखते हुए 21 मई से आंदोलन।
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कांग्रेस और भाजपा की सरकारों की बार-बार घोषणा करने के बाद भी राजस्थान में गुर्जर समुदाय को उनकी मांग के अनुरूप 5 प्रतिशत आरक्षण अलग से भी तक नहीं मिला है। गुर्जर समुदाय के प्रतिनिधि अब समझ गए हैं कि आरक्षण का जो वर्गीकरण हो रखा है उसमें पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण मिलना संभव नहीं है। सरकार ने जब-जब गुर्जरों को आरक्षण देने की घोषणा की तब-तब कोर्ट ने रोक लगा दी। यही वजह है कि 72 गुर्जरों की मौत हो जाने के बाद भी आरक्षण का लाभ नहीं मिला है। राजस्थान में वर्तमान में अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत जनजाति को 12 तथा अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी को 21 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। यानि वर्तमान में 49 प्रतिशत आरक्षण है। संविधान के अनुसार 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता। सरकार ने एक प्रतिशत विशेष आरक्षण गुर्जरों को दे रखा है। लेकिन संवैधानिक अड़चन की वजह से पांच प्रतिशत आरक्षण गुर्जरों को नहीं दिया जा रहा, यानि कोर्ट का डंडा नहीं होता तो सरकार पांच क्या दस प्रतिशत आरक्षण गुर्जर और अन्य जातियों को दे देती, इसलिए अब गुर्जर नेताओं ने ओबीसी कोटे का विभाजन कर आरक्षण की मांग रखी है। हालांकि ओबीसी के 21 प्रतिशत कोटे में गुर्जर समुदाय भी शामिल है, लेकिन गुर्जरों का कहना है कि ओबीसी में कई ऐसी प्रभावशाली जातियां है, जो ओबीसी कोटे का अधिकतम लाभ ले रही है। जबकि ऐसी जातियों ने मुकाबले गुर्जर समुदाय शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से बहुत पिछड़ा हुआ है। कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने जब-जब भी सर्वे करवाएं तो गुर्जर जाति के लोग पिछड़े हुए मिले। यही वजह है कि गुर्जरों को ओबीसी कोटे का लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे में 21 प्रतिशत ओबीसी कोटे में गुर्जर समुदाय को पांच प्रतिशत अलग से आरक्षण देने की मांग की रणनीति बनाई जा रही है इसके लिए 6 मई को बयाना के निकट कारवाड़ी गांव में गुर्जर आरक्षण आंदोलन से जुड़े प्रतिनिधि भाग लेंगे। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की अगुवाई में होने वाली इस बैठक में 21 मई से शुरू होने वाले आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। सवाल उठता है कि गुर्जरों ने ओबीसी कोटे में विभाजन का जो तर्क दिया है। उसमें क्या जाट, रावत, माली, सुनार जैसी जातियां स्वीकार करेंगी? वर्तमान व्यवस्था में ओबीसी कोटे का सर्वाधिक लाभ जाट समुदाय के युवा प्राप्त कर रहे हैं। हालांकि गुर्जर समुदाय स्वयं को ग्रामीण खास कर जंगल क्षेत्र से जुड़ा हुआ मानता है। लेकिन मीणाओं ने पहले ही जनजाति कोटे में छेड़छाड़ न करने की चेतावनी दे रखी है। सामाजिक दृष्टि से गुर्जर समुदाय भी नहीं चाहेगा कि एसटी कोटे में छेड़छाड़ की जाए। देखना है कि सरकार इस बार गुर्जरों के आंदोलन का मुकाबला कैसे करती है?

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