Saturday 16 January 2016

वेद मंत्र डालते है शरीर पर असर। मन मुताबिक मिलता है फल


अन्तर्राष्ट्रीय धार्मिक नगरी पुष्कर के चामुण्डा माता मार्ग पर ब्रह्मा सावित्री वेद विद्यापीठ का सफल संचालन हो रहा है। गुरुकुल के मापदंडों पर चलने वाली इस विद्यापीठ में करीब 70 वेदपाठी अध्ययन कर रहे हैं। 16 जनवरी को इस विद्यापीठ में जाने का अवसर मुझे भी मिला। इस पीठ के आचार्य महेशजी नन्दे से मेरा सीधा सवाल था कि आखिर वेद मंत्र किस काम के है? आचार्य  नन्दे ने कहा कि इस सवाल का जवाब कुछ दिनों में नहीं बल्कि कई वर्ष में मिल पाएगा। आपको इस विद्यापीठ में आकर स्वयं को वैदिक देह में तैयार होना पड़ेगा। मेरा मन तो हुआ कि इसी वक्त से पुष्कर की विद्यापीठ में रह जाऊं, लेकिन सामाजिक और सांसारिक जिम्मेदारियों को देखते हुए मैंने आचार्य नन्दे से माफी मांगी और आग्रह किया कि मुझे सूक्ष्म में ही वेद मंत्रों के बारे में जानकारी दें। इस पर आचार्य ने कहा कि दुनिया कि ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान वेद मंत्रों से न हो सके। यहां तक कि वेद मंत्र पढऩे के बाद मनुष्य अपने मन के मुताबिक फल की प्राप्ति कर सकता है। वेद कोई साहित्य अथवा ग्रंथ ही नहीं है बल्कि एक ऐसा विज्ञान है जिसमें समूचा ब्रह्माण्ड समाया हुआ है। वेदों का अध्ययन करने से हम अपने शरीर के हर रोग का इलाज कर सकते है। स्लिप डिस्क के रोग में एक हड्डी को ठीक करने का मंत्र वेद में है। ऐसा नहीं कि सिर्फ मंत्र पढ़ लेने से आपकी काया निरोगी हो जाएगी। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने मन और काया को उस वेद मंत्र के अनुरुप बनाएं। बड़े से बड़ा असाध्य रोग भी वेदमंत्र से ठीक हो सकता है।
वेद मंत्रों के प्रभाव और महत्व को देखते हुए ही महर्षि वेदव्यास प्रतिष्ठान पुणे के द्वारा देशभर में 25 वेद विद्यापीठ का संचालन हो रहा है। यहां पढऩे वाले वेदपाठी अध्ययन के बाद सिर्फ पंडिताई ही नहीं करेंगे बल्कि दुनिया को बदलने का काम करेंगे। वेद भारतीय संस्कृति की धरोहर है लेकिन आज अमेरिका और इंग्लैण्ड जैसे देश हमारे शास्त्रों पर बहुत बड़ा शोध कर रहे है। चूंकि अमेरिका के नागरिकों में भारतीय जितनी बुद्धि नहीं है इसलिए अमेरिका चाहता है कि हमारे वेद विद्यापीठ में तैयार हुए वेदपाठी अमेरिका आ जाएं। अमेरिका का प्रस्ताव है कि ऐसे विद्यार्थियों को अमेरिका में नि:शुल्क आवास की सुविधा के साथ-साथ एक लाख रुपए मासिक से भी ज्यादा का पारिश्रमिक दिया जाएगा। आचार्य नन्दे ने बताया कि विद्यापीठ में तैयार युवाओं की मांग भारत के बड़े महानगरों में जबरदस्त है। अमेरिका और इंग्लैण्ड जैसे देश तो विद्यार्थियों के लिए तरस रहे हैं। विद्यापीठ में प्रवेश के लिए न्यूनतम पांचवीं कक्षा उत्र्तीण होना जरूरी है, लेकिन 12 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले बालक को प्रवेश नहीं दिया जाता। इसका मकसद बालक को शुरू से ही वेद मंत्रों के अनुरुप ढालना है। यहां पढऩे वाले विद्यार्थियों को सभी सुविधाएं नि:शुल्क दी जाती है। विद्यापीठ के सभी परिसरों में छात्रावास है। वेदों की जानकारी भी वैज्ञानिक तरीके से दी जाती है। कक्षाएं भी आधुनिक हैं जिनमें कम्प्यूटर और इंटरनेट की सुविधाएं उपलब्ध हैं। आचार्य नन्दे ने बताया कि पुष्कर विद्यापीठ में वैदिक मंत्र, शास्त्र अनुसंधान, अन्यत्र दुर्लभ अष्ट भुजधारी भगवान मृत्युंजय महादेव, माता पार्वती, गणपति जी, हनुमान जी एवं गायत्री माता के साथ-साथ सपरिवार विराजमान है। यहां विराजित शिवलिंग पर छात्रों द्वारा नित्य अभिषेक किया जाता है। छात्रों द्वारा नित्य पूजा अर्चना, श्रृंगार एवं आरती की जाती हैं। यजमान परिवारों के रूकने के लिए सभी सुविधाओं से सुसज्जित 18 कमरों का विश्रान्ति गृह है। मात्र 4100 रुपए की राशि देकर कोई भी व्यक्ति वेदपाठी विद्यार्थियों को एक समय का भोजन करवा सकता है।
न्यायमूर्ति लाहोटी है संरक्षक :
वेद विद्यापीठ ट्रस्ट के संरक्षक भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रमेशचंद लाहोटी हैं जबकि उद्योगपति रामेश्वर लाल काबरा, रामदास अग्रवाल, आनंद राठी, जोधराज लड्ढा, रामअवतार जाजू, संदीप झंवर, अशोक कालानी, अरूण अग्रवाल, नितिन सर्राफ, भंवरलाल सोनी, त्रिभुवन काबरा, अशोक सोनी आदि देशभर के प्रतिनिधि लोग जुड़े हुए है।
(एस.पी. मित्तल)  (16-01-2016)
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